ज़रा इज़हार की कीमत ज़रा इसरार की कीमत
चुकाए जा रहे हैं हम दिल-ए-बीमार की कीमत
तुझी को जीत जाने में ख़ुदी को हार बैठे हैं
हमारी जीत ही तो है हमारी हार की कीमत
निभाने को हुए राज़ी मुहब्बत तेरी शर्तों पर
मगर अब जान ले लेगी तुम्हारे प्यार की कीमत
कहानी से चले जाना मुझे लगता मुनासिब है
फ़साना मार डालेगी मेरे किरदार की कीमत
अना से अर्ज़ करते हो ज़हन को मर्ज़ करते हो
चुकाए जाओगे कब तक यही बेकार की कीमत
खिलौने बेचने बस्ता भुलाकर रोज़ आता है
उसी बच्चे से समझेंगे भरे बाज़ार की कीमत
उसे ख़ुश रख लिया है पर ख़ुदी को भूल आये हैं
चुकाई यूँ गयी कश्ती से ही पतवार की कीमत
कभी इंसान कोई ख़ुद से तो जुड़ भी न पाएगा
हमेशा आड़े आएगी किसी अवतार की कीमत
तेरी बाहों की रानाई से हम उकता भी सकते हैं
चुका ना पाओगे तुम रोज़ की तकरार की कीमत
किसी बीमार के इज़हार को आज़ार मत करना
कचहरी और सदमे है ग़लत दिलदार की कीमत
सुनो तुम कुछ सलीके से समय पर दाद भी दे दो
हमें इतनी सी है दरकार इन अश'आर की कीमत
Read Full