Search
Shayari
Writers
Moods
Festivals
Blog
eBook
Whatsapp Stickers
Community
Login
Home
Shayari
Search
Audio
More
Writers
Become a writer
Festivals’ Collection
Blog
eBook
Whatsapp Stickers
Community
Get Shayari On WhatsApp
Help & Support
Team
Log In
Back
By:
00:00/00:00
Ambreen Haseeb Ambar
Ambreen Haseeb Ambar
तअल्लुक़ जो भी रक्खो सोच लेना
कि हम रिश्ता निभाना जानते हैं
Top 10 of Ambreen Haseeb Ambar
Sher
Ghazal
इक हसीं ख़्वाब कि आँखों से निकलता ही नहीं
एक वहशत है कि ताबीर हुई जाती है
Ambreen Haseeb Ambar
4
ऐ आसमाँ किस लिए इस दर्जा बरहमी
हम ने तो तिरी सम्त इशारा नहीं किया
Ambreen Haseeb Ambar
1
तुम ने किस कैफ़ियत में मुख़ातब किया
कैफ़ देता रहा लफ़्ज़-ए-'तू' देर तक
Ambreen Haseeb Ambar
2
वो जंग जिस में मुक़ाबिल रहे ज़मीर मिरा
मुझे वो जीत भी 'अम्बर' न होगी हार से कम
Ambreen Haseeb Ambar
0
क्या ख़ूब तमाशा है ये कार-गह-ए-हस्ती
हर जिस्म सलामत है हर ज़ात अधूरी है
Ambreen Haseeb Ambar
1
भूल जोते हैं मुसाफ़िर रस्ता
लोग कहते हैं कहानी फिर भी
Ambreen Haseeb Ambar
0
जो तुम हो तो ये कैसे मान लूँ मैं
कि जो कुछ है यहाँ बस इक गुमाँ है
Ambreen Haseeb Ambar
0
ज़िंदगी में कभी किसी को भी
मैं ने चाहा नहीं मगर तुम को
Ambreen Haseeb Ambar
0
ध्यान में आ कर बैठ गए हो तुम भी नाँ
मुझे मुसलसल देख रहे हो तुम भी नाँ
Ambreen Haseeb Ambar
3
दिल जिन को ढूँढता है न-जाने कहाँ गए
ख़्वाब-ओ-ख़याल से वो ज़माने कहाँ गए
Ambreen Haseeb Ambar
0
बन के हँसी होंटों पर भी रहते हो
अश्कों में भी तुम बहते हो तुम भी नाँ
Ambreen Haseeb Ambar
0
इस आरज़ी दुनिया में हर बात अधूरी है
हर जीत है ला-हासिल हर मात अधूरी है
Ambreen Haseeb Ambar
0
उम्र-भर के सज्दों से मिल नहीं सकी जन्नत
ख़ुल्द से निकलने को इक गुनाह काफ़ी है
Ambreen Haseeb Ambar
1
हम तो सुनते थे कि मिल जाते हैं बिछड़े हुए लोग
तू जो बिछड़ा है तो क्या वक़्त ने गर्दिश नहीं की
Ambreen Haseeb Ambar
3
उड़ गए सारे परिंदे मौसमों की चाह में
इंतिज़ार उन का मगर बूढे शजर करते रहे
Ambreen Haseeb Ambar
2
दुनिया तो हम से हाथ मिलाने को आई थी
हम ने ही एतिबार दोबारा नहीं किया
Ambreen Haseeb Ambar
2
तअल्लुक़ जो भी रक्खो सोच लेना
कि हम रिश्ता निभाना जानते हैं
Ambreen Haseeb Ambar
2
मुझ में अब मैं नहीं रही बाक़ी
मैं ने चाहा है इस क़दर तुम को
Ambreen Haseeb Ambar
1
फ़ैसला बिछड़ने का कर लिया है जब तुम ने
फिर मिरी तमन्ना क्या फिर मिरी इजाज़त क्यूँ
Ambreen Haseeb Ambar
2
ऐ आसमां किस लिए इस दर्जा बरहमी
हम ने तो तिरी सम्त इशारा नहीं किया
Ambreen Haseeb Ambar
1
LOAD MORE
Get Shayari on your Whatsapp
More Writers like Ambreen Haseeb Ambar
Gaurav Singh Meer
Muneer Niyazi
Harsh saxena
Shakeel Jamali
Aanis Moin
How's your Mood?
View All
Friendship
Breakup
Sad
Romantic
Deshbhakti
Latest Blog
View All
जौन एलिया: इश्क़ की क्लास
"दाग़" दिल पर लगें तो अच्छे हैं
आज और मजाज़: इश्क़ और इंक़लाब
अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था
जौन को जौन ही से ख़तरा है
शाइरी : एक ज़ाती ज़रूरत
उर्दू को हिंदी स्क्रिप्ट में कैसे लिखें और पढ़ें
उर्दू शायरी की बारीकियां
शायरी में करियर
बहर में शायरी
ख़याल से ग़ज़ल तक
बहर में मिलने वाली एक विशेष छूट: अलिफ़ वस्ल
बहर-ए-मीर
रदीफ़-क़ाफ़िया दोष और निवारण
"शायर" या "बॉलीवुड गीतकार"?
ग़ालिब कौन है?
शायरी और नज़्म
राहत इंदौरी: एक ख़ुदरंग शायर
Upcoming Festivals
View All
Krishna Janmashtami
National Sports Day