दरिया है बहुत गहरा, कश्ती भी पुरानी है
हिम्मत की मगर दिल में, कम भी न रवानी है
ज़ज़्बा हो जो बढ़ने का, कुछ भी न लगे मुश्किल
कुछ करने की जीवन में, ये ही तो निशानी है
दिल उनसे मिला जब से, बदली है फ़ज़ा तब से
मदहोश नज़ारे हैं, हर शय ही सुहानी है
बचपन के सुहाने दिन, रह रह के वे याद आएँ
आँखों में हैं मंज़र सब, हर बात ज़ुबानी है
औक़ात नहीं कुछ भी, पर आँख दिखाए वो
टकरायेगा हम से तो, मुँह की उसे खानी है
सिरमौर बने जग का, भारत ये वतन प्यारा
ये आस हमें पूरी, अब कर के दिखानी है
जिस ओर 'नमन' देखे, मुफ़लिस ही भरें आहें
अब सब को गरीबी ये, जड़ से ही मिटानी है
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