चलो तो आज ज़ख्म-ए-दिल की खुद से ही शिफ़ा पूछे
तो क्या पूछे, दग़ा पूछे, सिला पूछे, गिला पूछे
बहुत खामोश बैठे थे कि अब दिल बैठा जाए है
खड़े हैं जाने को जब यार अब हम उनसे क्या पूछे
तुम्हारा नाम आता है लबों पे जब कभी कोई
रज़ा पूछे, ख़ता पूछे, सज़ा पूछे, दवा पूछे
झुकी नज़रें तिरी उठती हुई जब देख ली हमने
किसी से क्यों हया पूछे, नशा पूछे, मज़ा पूछे
सभी को 'नूर' तुम सिखला दो चाहे इश्क़ का मतलब
जो वो पूछे तो कहना हक़ नही उसको वफ़ा पूछे
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