ये जो आँखों मे आँसुओं का झरना है
सोचने दे इल्ज़ाम किस सर धरना है
जी तो लेंगे उसके बिना भी हम मगर
ये तमन्ना है साथ उसके मरना है
डर गई है सब से सही हो कर भी क्यों
आदमी से मत डर ख़ुदा से डरना है
पड़ गया है कम घर हमारा और हम
अब उसे महफ़िल में तमाशा करना है
यादें, ज़िम्मेदारी, ख़ता सब चलते वक़्त
जानती हूँ बस्ते में क्या क्या भरना है
मौत से पहले ये मोहलत दे दे ख़ुदा
वो आ जाए उन बाज़ुओं में मरना है
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