मज़ा ही मज़ा है नशा ही नशा है
किसी को किसी का पता मिल गया है
हमारी तरफ़ से मुहब्बत हुई है
तुम्हारी तरफ़ का ख़ुदा जानता है
उन्हीं क़ातिलों पे यक़ीं कर रहे हैं
ख़ुदा को मुहब्बत ने बहका दिया है
हमारी तरफ़ से नज़र को हटा लो
हमें इस नज़र की सदाकत पता है
हमें दिल समझकर मिटा क्या सकोगे
मुहब्बत के बंदों पे फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा है
यूँ हँस के कलेजा नहीं माँगते हैं
ख़ुदाया अदाओं से दिल काँपता है
मेरे दोस्त मुझपे सितम आज कर लो
मगर ये न भूलो मेरा भी ख़ुदा है
मुझे तुमसे करनी वफ़ा तो नहीं थी
मगर पारसाओं ने बहका दिया है
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