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भरे हुए जाम पर सुराही का सर झुका तो बुरा लगेगा
जिसे तेरी आरज़ू नहीं तू उसे मिला तो बुरा लगेगा।
एक ऐसा शायर जिसने आज के दौर में बहुत ही कम समय में लोगों के जेहन पे अपने नाम की छाप छोड़ दी है। अली ताबिश जीवन के सभी मूड और रंगों के कवि हैं। उनकी हालिया संकलन 'तुमारे बाद का मौसम' रोमांस, दर्शन और भावना का बेहतरीन संग्रह है जो नाजुक रूप से नज़्मों, ग़ज़लों में बुना गया है।
ज़ुबैर अली का जन्म 27 अगस्त 1987 को महाराष्ट्र के नंदुरबार ज़िले में हुआ। ज़ुबैर अली शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे उन्होंने स्कूली शिक्षा अपने गृह नगर से प्राप्त कि और फिर बाद में पुणे यूनिवर्सिटी से रसायन विज्ञान और उर्दू भाषा में एक डबल स्नातक किया,
ज़ुबैर अली ने 7वी कक्षा में ही अपना पहला शेर कह दिया था:
दर-ए-यार से कब्र ही कुछ भली है
कयामत के ही दिन उठेंगे यहां से।
ज़ुबैर अली आजकल महाराष्ट्र के नगर देवला में रहते है और वहाँ एक अध्यापक के रूप में काम करते हैं . शायर जुबैर,आज दुबई सहित दुनिया भर के अनेक शहर जहाँ शायरी को पढ़ा और समझा जाता है वहाँ वो और उनकी शायरी पहुँच चुकी है, ज़ुबैर अली आजकल मुशायरो की रौनक बने हुए है युवा उन्हें काफी पसंद करते है और ज़ुबैर सोशल मीडिया पर भी बेहद लोकप्रिय है।