उन्वान- क्या ख़ुदा सच में आबाद है?
दिल में एक सवाल है क्या ख़ुदा अब भी आबाद है?
क्यूँ लगने लगा है मुझे यूँ कि ख़ुदा अब कल की बात है
जो मर रहे है भूख से,जो मर गए है भूख से उनके सिसकियों का कोई जवाब है? क्या तू सच में आबाद है?
सोचा न था तू अपने चमचों का इतना तलबगार है, जो तेरे मंदिर के पास है वो तो आबाद है, पर कर्म करने वाला हर शख़्स तेरे ज़ुल्म का शिकार है? क्या तू सच में आबाद है?
दिन रात मेहनत करने वाला शख़्स एक रोटी पे मोहताज़ है और मुनाफ़क़त से पैसे कमाने वाला महाराज है इतना ज़ुल्म क्यूँ? और इसका क्या जवाब है? क्या तू सच में आबाद है?
तेरे ही दो पंथों में क्यूँ तकरार है क्यूँ एक ही धर्म नहीं सदा बहार है, तू क्यों नहीं आके कहता है के एक ही ख़ुदा इस जहाँ के पार है? क्या तू सच में आबाद है?
तू भले ही मुझे मार कर जहन्नम में डाल दे, पर किसी भी शर्त पर मेरे इन सवालों का जवाब दे
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