Aftab Iqbal Shamim

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Aftab Iqbal Shamim shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Aftab Iqbal Shamim's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
दिखाई जाएगी शहर-ए-शब में सहर की तमसील चल के देखें
सर-ए-सलीब ईस्तादा होगा ख़ुदा-ए-इंजील चल के देखें

गुलों ने बंद-ए-क़बा है खोला, हवा से बू-ए-जुनूँ भी आए
करेंगे इस मौसम-ए-वफ़ा में हम अपनी तकमील चल के देखें

ग़नीम-ए-शब के ख़िलाफ़ अब के ज़ियाँ हुई ग़ैब की गवाही
पड़ा हुआ ख़ाक पर शिकस्ता पर-ए-अबाबील चल के देखें

चुने हैं वो रेज़ा रेज़ा मंज़र, लहू लहू हो गई हैं आँखें
चलो ना! उस दुख के रास्ते पर सफ़र की तफ़्सील चल के देखें

फ़ज़ा में उड़ता हुआ कहीं से अजब नहीं अक्स-ए-बर्ग आए
ख़िज़ाँ के बे-रंग आसमाँ से अटी हुई झील चल के देखें

लुढ़क गया शब का कोह-पैमा ज़मीं की हमवारियों की जानिब
कहीं हवा गुल न कर चुकी हो अना की क़िंदील चल के देखें
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Aftab Iqbal Shamim
इक फ़ना के घाट उतरा एक पागल हो गया
या'नी मंसूबा ज़माने का मुकम्मल हो गया

जिस्म के बर्फ़ाब में आँखें चमकती हैं अभी
कौन कहता है कि उस का हौसला शल हो गया

ज़ेहन पर बे-सम्तियों की बारिशें इतनी हुईं
ये इलाक़ा तो घने रस्तों का जंगल हो गया

इस कलीद-ए-इस्म-ए-ना-मा'लूम से कैसे खुले
दिल का दरवाज़ा कि अंदर से मुक़फ़्फ़ल हो गया

शो'ला-ज़ार-ए-गुल से गुज़रे तो सर-ए-आग़ाज़ ही
इक शरर आँखों से उतरा ख़ून में हल हो गया

शहर-ए-आइंदा का दरिया है गिरफ़्त-ए-रेग में
बस कि जो होना है उस का फ़ैसला कल हो गया

मौसम-ए-ताख़ीर-ए-गुल आता है किस के नाम पर
कौन है जिस का लहू इस ख़ाक में हल हो गया

इस क़दर ख़्वाबों को मसला पा-ए-आहन-पोश ने
शौक़ का आईन बिल-आख़िर मोअ'त्तल हो गया
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