Ahmad Rizwan

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@ahmad-rizwan

Ahmad Rizwan shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ahmad Rizwan's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
आता ही नहीं होने का यक़ीं क्या बात करूँ
है दूर बहुत वो ख़्वाब-नशीं क्या बात करूँ

क्या बात करूँ जो अक्स था मेरी आँखों में
वो छोड़ गया इक शाम कहीं क्या बात करूँ

क्या बात करूँ जो घड़ियाँ मेरी हमदम थीं
वो घड़ियाँ ही आज़ार बनीं क्या बात करूँ

क्या बात करूँ मिरे साथी मुझ से छूट गए
वो लोग नहीं वो ख़्वाब नहीं क्या बात करूँ

क्या बात करूँ ये लोग भला कब सुनते हैं
सब बातें अंदर डूब गईं क्या बात करूँ

क्या बात करूँ अपनों की जितनी लाशें थीं
मिरे सीने में सब आन गिरीं क्या बात करूँ

क्या बात करूँ जो बातें तुम से करनी थीं
अब उन बातों का वक़्त नहीं क्या बात करूँ

क्या बात करूँ कभी पानी बातें करता था
ये दरिया इस की ख़ुश्क ज़मीं क्या बात करूँ

क्या बात करूँ सहरा में चाँद अकेला है
और मेरे साथ भी कोई नहीं क्या बात करूँ

क्या बात करूँ 'रिज़वान' कि रोना आता है
सब बातें उस की बात से थीं क्या बात करूँ
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Ahmad Rizwan
शब ढले गुम्बद-ए-असरार में आ जाता है
एक साया दर-ओ-दीवार में आ जाता है

मैं अभी एक हवाले से उसे देखता हूँ
दफ़अ'तन वो नए किरदार में आ जाता है

यूँ शब-ए-हिज्र शब-ए-वस्ल में ढल जाती है
कोई मुझ सा मिरी गुफ़्तार में आ जाता है

मुझ सा दीवाना कोई है जो तिरे नाम के साथ
रक़्स करता हुआ बाज़ार में आ जाता है

जब वो करता है नए ढब से मिरी बात को रद्द
लुत्फ़ कुछ और भी गुफ़्तार में आ जाता है

देखना उस को भी पड़ता है मियाँ दुनिया में
सामने जो यूँही बे-कार में आ जाता है

एक दिन क़ैस से जा मिलता है वहशत के तुफ़ैल
जो भी इस दश्त-ए-सुख़न-ज़ार में आ जाता है

मैं कभी ख़ुद को अगर ढूँढना चाहूँ 'अहमद'
दूसरा मा'रिज़-ए-इज़हार में आ जाता है
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Ahmad Rizwan