Altaf Ahmad Aazmi

Altaf Ahmad Aazmi

@altaf-ahmad-aazmi

Altaf Ahmad Aazmi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Altaf Ahmad Aazmi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
किसी सूरत से मेरे दिल की वीरानी नहीं जाती
गली में ज़िंदगी की ख़ाक अब छानी नहीं जाती

ये मेरे दिल का दरिया भी अजब दरिया-ए-वहशत है
उतर जाता है लेकिन इस की तुग़्यानी नहीं जाती

वही चेहरे वही घर हैं मगर कितना तग़य्युर है
वही बस्ती है और आँखों से पहचानी नहीं जाती

कभी आबाद होने को तरस जाता है शहर-ए-दिल
कभी आबाद होने पर भी वीरानी नहीं जाती

ख़ता से बढ़ के एहसास-ए-ख़ता ने कर दिया ख़स्ता
पशेमाँ हो के भी दिल की पशेमानी नहीं जाती

शगुफ़्त-ए-गुल का मतलब है फ़ना-ए-ज़ात तो फिर क्यों
गुलों की आरज़ू-ए-चाक-दामानी नहीं जाती

अभी तो और खाएगा फ़रेब-ए-दोस्ताँ 'अहमद'
ये दुनिया है ये आसानी से पहचानी नहीं जाती
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Altaf Ahmad Aazmi
तुझ से ऐ दोस्त अब गिला ही नहीं
तेरी फ़ितरत में तो वफ़ा ही नहीं

राह में दिल पड़ा है या पत्थर
कोई रुक कर ये देखता ही नहीं

हाए अहल-ए-ख़िरद की कम-नज़री
दिल का अब कोई तज़्किरा ही नहीं

आइने की तरह हो दिल जिस का
कोई ऐसा मुझे मिला ही नहीं

अपने साए से लोग डरते हैं
राज़-ए-दिल कोई खोलता ही नहीं

किस को सौग़ात-ए-आगही दें हम
कोई बस्ती में हम-नवा ही नहीं

ज़ख़्म क्या मुंदमिल हुए दिल के
ज़िंदगी में कोई मज़ा ही नहीं

शम्अ कह कर ये बुझ गई कल रात
दर्द-ए-दिल की कोई दवा ही नहीं

अक़्ल-ओ-दिल में न कीजिए तफ़रीक़
इस से बढ़ कर कोई ख़ता ही नहीं

क्यों डराती है गर्दिश-ए-अय्याम
दिल में अब कोई मुद्दआ ही नहीं

है गिला अपनी कम-सवादी से
ज़िंदगी से कोई गिला ही नहीं

लोग कश्कोल ले के फिरते हैं
हाथ अब तक मिरा उठा ही नहीं

रोज़ पढ़ता हूँ ग़ौर से चेहरे
शहर में कोई आश्ना ही नहीं

क्यों दिखाता है आइना सब को
कोई 'अहमद' से बोलता ही नहीं
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