Ambareen Haseeb ambar

Ambareen Haseeb ambar

@ambareen-haseeb-ambar

Ambareen Haseeb ambar shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ambareen Haseeb ambar's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
मिला भी ज़ीस्त में क्या रन्ज-ए-रह-गुज़ार से कम
सो अपना शौक़-ए-सफ़र भी नहीं ग़ुबार से कम

तिरे फ़िराक़ में दिल का अजीब आलम है
न कुछ ख़ुमार से बढ़ कर न कुछ ख़ुमार से कम

हँसी-ख़ुशी की रफ़ाक़त किसी से क्या चाहें
यहाँ तो मिलता नहीं कोई ग़म-गुसार से कम

वो मुंतज़िर है यक़ीनन हवा-ए-सरसर का
जो हब्स हो न सका बाद-ए-नौ-बहार से कम

बुलंदियों के सफ़र में क़दम ज़मीं पे रहें
ये तख़्त-ओ-ताज भी होते नहीं हैं दार से कम

अजीब रंगों से मुझ को सँवार देती है
कि वो निगाह-ए-सताइश नहीं सिंघार से कम

मिरी अना ही सदा दरमियाँ रही हाएल
वगर्ना कुछ भी नहीं मेरे इख़्तियार से कम

वो जंग जिस में मुक़ाबिल रहे ज़मीर मिरा
मुझे वो जीत भी 'अम्बर' न होगी हार से कम
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Ambareen Haseeb ambar
ऐ ख़ुदा अजब है तिरा जहाँ मिरा दिल यहाँ पे लगा नहीं
जहाँ कोई अहल-ए-वफ़ा नहीं किसी लब पे हर्फ़-ए-दुआ नहीं

बड़ा शोर था तिरे शहर का सो गुज़ार आए हैं दिन वहाँ
वो सकूँ कि जिस की तलाश है तिरे शहर में भी मिला नहीं

ये जो हश्र बरपा है हर तरफ़ तो बस इस का है यही इक सबब
है लबों पे नाम-ए-ख़ुदा मगर किसी दिल में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा नहीं

जो हँसी है लब पे सजी हुई तो ये सिर्फ़ ज़ब्त का फ़र्क़ है
मिरे दिल में भी वही ज़ख़्म हैं मिरा हाल तुझ से जुदा नहीं

ये जो दश्त-ए-दिल में हैं रौनक़ें ये तिरी अता के तुफ़ैल हैं
दिया ज़ख़्म जो वो हरा रहा जो दिया जला वो बुझा नहीं

ऐ ख़ुदा अजब है तिरी रज़ा कोई भेद इस का न पा सका
कि मिला तो मिल गया बे-तलब जिसे माँगते थे मिला नहीं

वो जो हर्फ़-ए-हक़ था लिखा गया किसी शाम ख़ून से रेत पर
है गवाह मौजा-ए-वक़्त भी कि वो हर्फ़ उस से मिटा नहीं
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