Dilnawaz Siddiqi

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@dilnawaz-siddiqi

Dilnawaz Siddiqi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Dilnawaz Siddiqi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
छुपने के लिए तो मेरी आँखें ही बहुत हैं
मंज़ूर-ए-नज़र सब के हों चाहें भी बहुत हैं

सिर्फ़ अपने लिए जीने को जीना नहीं कहते
इस राह में रिश्तों की सराएँ भी बहुत हैं

टूटे हुए वा'दों की सुरंगों में घरों को
जलते हुए ज़ख़्मों की शुआएँ भी बहुत हैं

हर शय पे लगी है यहाँ नीलाम की बोली
बर्बादी-ए-अख़्लाक़ की राहें भी बहुत हैं

हैं ज़ुल्म के पत्थर मिरे रस्ते में अंधेरे
टकराएँ जो आपस में तो किरनें भी बहुत हैं

झूटों को डराते हैं उन्हीं के दर-ओ-दीवार
हक़ पर हैं अगर हम तो पनाहें भी बहुत हैं

बचपन में मचल पड़ना भी इक हक़ था हमारा
अब ऐसे मचलने की सज़ाएँ भी बहुत हैं

आज़ादी-ए-बाज़ार में रौनक़ है ग़ज़ब की
लेकिन यहाँ मासूमों की चीख़ें भी बहुत हैं

ऐसे भी शनासाओं में हैं चोर कि जिन के
रोज़े भी बहुत और नमाज़ें भी बहुत हैं
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Dilnawaz Siddiqi