Ehtimam Sadiq

Ehtimam Sadiq

@ehtimam-sadiq

Ehtimam Sadiq shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ehtimam Sadiq's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
चुभन से दर्द से क़ुर्बत बढ़ा रहा है कोई
दयार-ए-दिल से कहीं दूर जा रहा है कोई

समुंदरों से कहो कश्तियाँ डुबो डालें
हमारी मौत के क़िस्से सुना रहा है कोई

उसे बताओ ख़ुशी देर तक नहीं रहती
मिरे ग़मों पे बहुत मुस्कुरा रहा है कोई

मिरा ही नाम नहीं है मिरी कहानी में
कि मुझ से ज़ात को मेरी छुपा रहा है कोई

किसी की याद के जाले हैं मेरे हुजरे में
उदासियों से मिरा घर सजा रहा है कोई

तमाम-शहर में इक घर यही था उल्फ़त का
यहाँ भी मौत का बिस्तर बिछा रहा है कोई

मिरे लहू को छिड़क दो तमाम गुलशन में
मिरी वफ़ाओं पे उँगली उठा रहा है कोई

मैं उस से बात तो कर लूँ रुको ज़रा 'सादिक़'
मिरे दरों से सदाएँ लगा रहा है कोई
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Ehtimam Sadiq
ये हसरतें भी मिरी साइयाँ निकाली जाएँ
कि दश्त ही की तरफ़ खिड़कियाँ निकाली जाएँ

बहार गुज़री क़फ़स ही में हाव-हू करते
ख़िज़ाओं में तो मिरी बेड़ियाँ निकाली जाएँ

ये शाम काफ़ी नहीं है सियह-लिबासी को
शफ़क़ से और ज़रा सुर्ख़ियाँ निकाली जाएँ

तो बच रहेंगी बरहना बदन की सौग़ातें
मोहब्बतों से अगर दूरियाँ निकाली जाएँ

मिरे जलाए दियों का भी कुछ ख़याल रहे
जो इस मकाँ से कभी खिड़कियाँ निकाली जाएँ

ये कैसी ज़िद है कि पहले बदन से जाँ निकले
फिर उस के बा'द सभी सिसकियाँ निकाली जाएँ

तो तुम भी मेरी तरह लड़खड़ाने लग जाओ
अगर तुम्हारी भी बैसाखियाँ निकाली जाएँ

ये ख़ूँ-बहा भी अदा कर चुकी है ख़्वाबों का
तो मेरी आँख से अब किर्चियाँ निकाली जाएँ

निकल पड़ेगा मिरा सर भी साथ ही 'सादिक़'
जो मेरे सर से कभी पगड़ियाँ निकाली जाएँ
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