Ejaz Parwana

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@ejaz-parwana

Ejaz Parwana shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ejaz Parwana's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
सब मुनाफ़िक़ ही नज़र आते हैं बातिल के सिवा
हैं सभी शाद मिरे क़त्ल पे क़ातिल के सिवा

अश्क आँखों से गुनाहों की नदामत में बहे
तब भँवर से न कहीं पहुँचा मैं साहिल के सिवा

ख़्वाब देखो है तरक़्क़ी की ज़मानत बे-शक
सब को ता'बीर मगर मिलती है काहिल के सिवा

मसलकी झगड़े फ़ुरूई ये मसाइल को लिए
आग आलिम ही लगाते हैं ये जाहिल के सिवा

होश में मय वो तसव्वुफ़ की ही पीने से रहे
होश वाले सभी ग़फ़्लत में थे ग़ाफ़िल के सिवा

हम पे इल्ज़ाम जो ग़द्दार-ए-वतन का धरते
और हो सकते नहीं वो कोई बुज़दिल के सिवा

चापलूसी से रिया-कारी से बे-ग़ैरती से
तुम बनोगे सभी कुछ रहबर-ए-कामिल के सिवा

भूक शोहरत की तुझे देख न गुमनाम करे
काम कर नाम भी होगा तिरा हासिल के सिवा

शिकवा हर दम ही तअ'स्सुब का न 'परवाना' करो
तुम हो क़ाबिल तो मिले कुछ भी न मंज़िल के सिवा
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Ejaz Parwana
मुसीबत के भँवर में भी शनावर वो सँभलता है
यक़ीं हो जिस को ख़ुद पर वो तलातुम से निकलता है

हथेली की लकीरों से नुजूमी की ही बातों से
निकम्मा और काहिल तो ख़ुशी से बस उछलता है

वफ़ा की राह में हमदम ग़रीबी हो गई हाइल
तुझे पाने की ख़्वाहिश में मिरा तो दिल मचलता है

हवाओं से न घबराओ चराग़ों को जलाने दो
शुजाअ'त देख कर अपनी अदू का दिल दहलता है

गए वो दिन बनी-आदम कहा करते थे सच हर दम
ज़बाँ को हज़रत-ए-इंसाँ लिबासों सा बदलता है

सराबों में न पानी है हक़ीक़त ये पुरानी है
मगर रहबर हमारा क्यों नहीं रस्ता बदलता है

अना की तुम परस्तिश को उसूलों में गिनाते हो
ये 'परवाना' मगर बस इंकिसारी से पिघलता है
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