Faizan Hashmi

Faizan Hashmi

@faizan-hashmi

Faizan Hashmi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Faizan Hashmi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
अपने ख़ला में ला कि ये तुम को दिखा रहा हूँ मैं
वो जो ख़ला-नवर्द हैं उन के लिए ख़ला हूँ मैं

इश्क़ हुआ नहीं मुझे इश्क़ को हो गया हूँ मैं
उतना नहीं बचा हुआ जितना पड़ा हुआ हूँ मैं

बन तो गया हूँ कूज़ा-गर घूम के तेरे चाक पर
जैसा बना रहा था तू वैसा नहीं बना हूँ मैं

मिट्टी यहाँ की ठीक है मिट्टी से कुछ गिला नहीं
आँखें मिला मिला के बस पानी बदल रहा हूँ मैं

भेस दिए का धार कर तेरी दुआ सँवार कर
बीच में ताक़चा है और दोनों तरफ़ खड़ा हूँ मैं

रूह मिली है या नहीं इतना मैं जानता नहीं
तेरे से एक जिस्म को पहले भी मिल चुका हूँ मैं

बारा बजे के ब'अद इक दिन को निकालते हुए
देखा तो जा चुका हूँ पर पकड़ा नहीं गया हूँ मैं
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इसी जहाज़ के सहरा में डूब जाने की
ख़बर मिली थी मुझे ख़्वाब में ख़ज़ाने की

बहुत से दीदा ओ नादीदा ख़्वाब सामने थे
इक ऐसी सम्त थी करवट मिरे सिरहाने की

मैं इस जगह पे जो इक दिन पलट के आया तो
कोई भी चीज़ नहीं थी मिरे ज़माने की

हर एक काम सुहुलत से होता रहता था
कोई ख़लिश नहीं होती थी कर दिखाने की

मैं इक ख़याल का ख़ेमा लगाए बैठा था
बहुत जगह थी मिरे पास सर छुपाने की

वो क्या ख़ुशी थी जो दिल में बहाल रहती थी
मगर वज्ह नहीं बनती थी मुस्कुराने की

इक ऐसे वक़्त में वो दोनों हो गए आबाद
जहाँ किसी को इजाज़त नहीं थी आने की

अजीब दश्त था जो मुझ से दाद चाहता था
क़रीब फैले हुए दूर के ज़माने की

तमाम शहर में पूरी तरह ख़मोशी थी
मुझे पड़ी थी कोई गीत गुनगुनाने की
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दोनों जहाँ से आ गया कर के इधर उधर की सैर
पूछो न जा रहा हूँ मैं करने को अब किधर की सैर

मिट्टी की ख़ूब-सूरती मिट्टी में मिल के देखिए
छोड़िए इस मकीन को कीजिए अपने घर की सैर

देखी नहीं थी चाक ने अच्छी तरह से देख ली
वैसे भी दिल-फ़रेब थी कूज़े पे कूज़ा-गर की सैर

सेब के पेड़ के तले गेंद वो घूमती हुई
पूरी कशिश से खींच कर करने लगी है सर की सैर

वैसे तो कुछ नहीं पता इतना पता है बाग़ है
बरसों से कर रहा हूँ मैं जिस के लिए उधर की सैर

तेरी ही सैर के लिए आता रहूँगा बार बार
तेरा था सात दिन का शौक़ मेरी है उम्र भर की सैर

पहली नज़र में काएनात उतनी खिली कि जितनी थी
फिर जो नज़र ने सैर की करती रही ख़बर की सैर
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