Fakhir Jalalpuri

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Fakhir Jalalpuri shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Fakhir Jalalpuri's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
ज़माना रोज़ जिसे यूँही संगसार करे
वो अपने ज़ख़्म कहाँ तक भला शुमार करे

कोई बताए कहाँ तक कोई चमन-ज़ादा
चमन को अपना लहू दे के लाला-ज़ार करे

वो जिस ने सदियों बहारों के रंग देखे हों
ख़िज़ाँ से अपने को वो कैसे हम-कनार करे

जो घर से निकला हो सच बोलने की निय्यत से
क़दम क़दम पे वो अब इंतिज़ार-ए-दार करे

अमीर-ए-शहर के हाथों में क़िस्मतों के चराग़
ग़रीब अपना कोई कैसे कारोबार करे

हो ज़ख़्म ज़ख़्म अगर जिस का लम्हा-ए-इमरोज़
वो कैसे मरहम-ए-फ़र्दा का इंतिज़ार करे

जो लुट गया है फ़सादों में अब उसी के लिए
ये हुक्म है कि वो हालात साज़गार करे

उसी को अम्न का ए'ज़ाज़ भी मयस्सर है
कि शहर शहर में पैदा जो इंतिशार करे

शुऊ'र बख़्श दो ऐसा चमन की कलियों को
जो फूल फूल को शाइस्ता-ए-बहार करे

ग़म-ए-हयात का मंज़िल-शनास क्या होगा
वो आदमी जो रह-ए-ज़ीस्त से फ़रार करे

ख़ुदी वो दौलत-ए-बेदार है जो दुनिया में
गदा-गरी में भी इंसाँ को शहरयार करे

वही है नूर-ए-बसीरत का आइना 'फ़ाख़िर'
जो आँख आख़िर-ए-शब तुझ को अश्क-बार करे
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