Gaurav Solanki

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Gaurav Solanki shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Gaurav Solanki's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Nazm
वे बाहर कितने बजे भी जा सकती है
किसी भी काम से
जैसे प्याज खरीदने हो दाल छोंकने से तुरंत पहले
या फोटोकॉपी करवानी हो डिग्रियां
हो सकता है कि वे घर से भागने के लिए निकली हों
या लौट रही हों घर
जैसे वे लौटती आई है सदियों से
उस प्रेमी के साथ हफ्ता या महीना बिताकर
जिसने कहा था कि साथ मरेंगे
पर एक सुबह होटल का बिल दिए बिना भाग निकला और फिर लौटा नही.
हो सकता है कि वे घर से भागने के लिए निकली हों
या फिर घर लौट रही हों
या फिर जिस्म भी बेचती हो सकती है
और इंश्योरंस भी
मैंने तो उन्हें मोक्ष बेचते भी देखा है
पर उसपर फिर कभी.
उनके हाथ में रैकेट हो तो ये समझना की वो टेनिस खेलने जा रही है
कोई रॉकेट साइंस नही लगता ये समझने में
पर अगर हाथ में हॉकी हो तो वे खेलने के लिए भी जा रही हो सकती है
और मारने के लिए भी
मारना सही नही कानूनन हालाँकि,
सही तो यह भी नही कि तुम बार बार सिखाने के बावजूद
ये बेसिक सी बात नही सीख पाए आज तक
कि वे बाहर कितने भी बजे जा सकती है
किसी भी काम से.
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