Ibn-e-Mufti

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Ibn-e-Mufti shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ibn-e-Mufti's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
दिल वही अश्क-बार रहता है
ग़म से जो हम-कनार रहता है

मैं ने देखा ख़िरद के काँधों पर
इक जुनूँ सा सवार रहता है

लब तबस्सुम में हो गए मश्शाक़
दिल मगर सोगवार रहता है

एक लम्हे भी सोच लूँ उन को
मुद्दतों इक ख़ुमार रहता है

दिल रहे बे-कली के घेरे में
ज़ेहन पे तू सवार रहता है

तेरे ख़्वाबों की लत लगी जब से
रात का इंतिज़ार रहता है

सच के धागे से जो बने रिश्ता
उम्र भर उस्तुवार रहता है

तेरे दिल ने भी पढ़ लिया कलमा
जिस में ये गुनहगार रहता है

जब से जोड़ा है आप से रिश्ता
दामन-ए-तार, तार रहता है

वो तसव्वुर में इक घड़ी आएँ
देर तक दिल बहार रहता है

चाँद से इस लिए है प्यार मुझे
ये भी यारों का यार रहता है

घर में आते ही मह-जबीं ने कहा
याँ तो अख़्तर शुमार रहता है

अब तो कर डालिए वफ़ा उस को
वो जो वादा उधार रहता है

इक तरफ़ गर्दिशें ज़माने की
इक तरफ़ तेरा प्यार रहता है

तिरे दर से जुड़ा हुआ मुफ़्लिस
इश्क़ में माल-दार रहता है

माँ ने दे दी दुआ तो हश्र तलक
उस का बाँधा हिसार रहता है

दिल में सज्दे किया करो 'मुफ़्ती'
इस में पर्वरदिगार रहता है
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शौक़ जब भी बंदगी का रहनुमा होता नहीं
ज़िंदगी से ज़िंदगी का हक़ अदा होता नहीं

क्या समझ आएँगी तुम को इश्क़ की बारीकियाँ
दिल तुम्हारा जब तलक दर्द-आश्ना होता नहीं

रूह ओ तन का इश्क़ ये क़ाएम रहेगा दाइमी
ख़त्म ब'अद-ए-मर्ग भी ये सिलसिला होता नहीं

कौन है जो जुर्म करने को है शब का मुंतज़िर
रौशनी में दिन की यारो क्या भला होता नहीं

ग़ालिबन होता मुझे भी घर के गिरने का गिला
राहगीरों का अगर ये रास्ता होता नहीं

बद-गुमानी की फ़ज़ा में क्या सफ़ाई दें तुम्हें
इस फ़ज़ा में कोई भी हल मसअला होता नहीं

इक ज़रा सी बात पे ये मुँह बनाना रूठना
इस तरह तो कोई अपनों से ख़फ़ा होता नहीं

कोई गुस्ताख़ी तो की है नाव ने गिर्दाब से
वर्ना यूँ साहिल पे कोई ग़म-ज़दा होता नहीं

कमरा-ए-तक़दीर में आती उरूस-ए-आरज़ू
वक़्त-ए-ना-हंजार का जो फ़ैसला होता नहीं

आँख से पीने का भी साक़ी ने माँगा है हिसाब
इस रविश से यारो कोई मय-कदा होता नहीं

'मुफ़्ती' देखो महर पल्टा है मिरी तक़दीर का
देखते हैं किस तरह सज्दा अदा होता नहीं
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कर बुरा तो भला नहीं होता
कर भला तो बुरा नहीं होता

इक वही लापता नहीं होता
जिस को अपना पता नहीं होता

सब निशाने अगर सहीह होते
तीर कोई ख़ता नहीं होता

कौन आशिक़ है कौन है माशूक़
प्यार में फ़ैसला नहीं होता

कोई ऐसी जगह ही दिखलाओ
जिस जगह पर ख़ुदा नहीं होता

कूचा-ए-यार जो न जाता हो
रास्ता रास्ता नहीं होता

कामयाबी के रास्तों की तरफ़
बीच का रास्ता नहीं होता

सारी दुनिया तो हो गई मेरी
इक फ़क़त तू मिरा नहीं होता

दिल नज़र पर अगर नज़र रखते
प्यार का हादसा नहीं होता

जब तलक तू न हो ख़यालों में
कोई सज्दा रवा नहीं होता

उस की मख़मूर आँख के आगे
मय-कदा मय-कदा नहीं होता

कोशिशें ख़ुद ही करना पड़ती हैं
भीड़ में रास्ता नहीं होता

एक अर्सा हुआ कि नींद से भी
आमना-सामना नहीं होता

प्यार हो जाए कब कहाँ किस से
ये किसी को पता नहीं होता

हम ने देखा है रू-ब-रू उन के
आईना आईना नहीं होता

सदक़ा ख़ैरात कीजिए साहब
मुस्कुराना बुरा नहीं होता

क्या करामत भी अब नहीं होगी
माना अब मोजज़ा नहीं होता

हाथ मुश्किल में छोड़ जाते हो
ये तो फिर थामना नहीं होता

पहले नज़रें अटूट थीं और अब
हाथ दिल से जुदा नहीं होता

'मुफ़्ती' हम ही भँवर-नसीब रहे
वर्ना साहिल पे क्या नहीं होता
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