"ऐ चाँद"
चल कुछ बातें करते हैं
मेरा महबूब दूर है मुझसे
पर एक सुकून तो है
कि वो भी देखता होगा तुझे
एक यक़ीन तो है
कि वो भी याद करता होगा मुझे
ऐ चाँद
वो शौक़ीन तो है दिन के उजालों का
पर इंतज़ार तो वो भी करता होगा
मेरे सवालों का
सवाल हाँ सवाल
जो तूने पूछने हैं
मेरी मोहब्बत से
आख़िर कब होगी वो रात
जब हम तुझे देखेंगे
एक ही छत से
ऐ चाँद
ये तो नहीं पता कि तू पूछेगा या नहीं
ये भी नहीं पता कि वो बताएगा या नहीं
पर इतना यक़ीन है मुझे
कि वो भी देखता होगा तुझे
ऐ चाँद
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