Jagjit Kafir

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@jagjit-kafir

Jagjit Kafir shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Jagjit Kafir's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
ये ज़मीं ये आसमाँ ये कहकशाँ कुछ भी नहीं
सब फ़ना की क़ैद में हैं जावेदाँ कुछ भी नहीं

है मिरे ही दूर-उफ़्तादा किसी गोशे में हैं
वुसअ'त-ए-कौनैन हूँ मैं ये जहाँ कुछ भी नहीं

मैं बड़ी मुश्किल से समझा हूँ क़ज़ा के राज़ को
बर्क़-ए-रक़्साँ के मुक़ाबिल आशियाँ कुछ भी नहीं

ज़िंदगी तख़रीब और ता'मीर का ही खेल है
इल्म वालों को जहाँ की गुत्थियाँ कुछ भी नहीं

ऐ परिंदो इन परों में ज़र्फ़ तो पैदा करो
हसरत-ए-परवाज़ को ये बेड़ियाँ कुछ भी नहीं

ज़हर भी गर हिक्मतन लें तो दवा बन जाएगा
इस जहाँ में देखिए तो राएगाँ कुछ भी नहीं

यार की गलियों में घुंघरू बाँध कर भी नाच लूँ
इश्क़ में 'काफ़िर' मिरी ख़ुद्दारियाँ कुछ भी नहीं
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