Jahan Ara Tabassum

Jahan Ara Tabassum

@jahan-ara-tabassum

Jahan Ara Tabassum shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Jahan Ara Tabassum's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
दिल मिरा लूट गया वो बड़ी तौक़ीर के साथ
जो मुझे जीत न पाया कभी शमशीर के साथ

कोई किस तरह से बदलेगा मुक़द्दर का लिखा
कोई किस तरह से लड़ पाएगा तक़दीर के साथ

दिल की नगरी से कई एक मुसाफ़िर गुज़रे
कोई ठहरा ही नहीं है दिल-ए-बे-पीर के साथ

दर्द जब हद से गुज़र जाए तो कुछ बात बने
नाम मेरा भी कभी आए तक़ी-'मीर' के साथ

मैं उसे भूल के भी याद नहीं आ सकती
जो मुझे बाँध गया दर्द की ज़ंजीर के साथ

मैं ने मिन्नत से और मिन्नत से तुम्हें माँगा है
तुम जो मिल सकते थे मुझ को किसी तदबीर के साथ

ये ही अल्फ़ाज़ मिरी शान हैं सरमाया हैं
कुछ तक़ाबुल नहीं इन का किसी जागीर के साथ

काट कर आज के अख़बार को ता'वीज़ किया
तेरी तस्वीर छपी है तिरी तहरीर के साथ

तुझ को राँझा से कभी भी कोई निस्बत न रही
हर फ़साने में मिरा ज़िक्र चला हीर के साथ

आप पहलू से यूँ चुप-चाप लगे बैठे हैं
जैसे तस्वीर लगा दे कोई तस्वीर के साथ

दाद मिलती है 'तबस्सुम' तुझे यूँ देर के बा'द
तेरे अशआ'र समझ आते हैं ताख़ीर के साथ
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Jahan Ara Tabassum
अक्सर जुए के खेल में हारी गई हूँ मैं
ग़ैरत के नाम पर भी तो मारी गई हूँ मैं

सय्याद ज़ेवरों में जकड़ता रहा मुझे
पिंजरे में डालने को सँवारी गई हूँ मैं

ना-कर्दा गुनाहों की सज़ा भोग रही हूँ
शो'लों से कई बार गुज़ारी गई हूँ मैं

क्यूँ फिर से कटहरे में बुलाया गया मुझे
क्यूँ फिर सलीब पर से उतारी गई हूँ मैं

है रूह दाग़-दार मिरे उजले जिस्म की
लहजे की मार मार के मारी गई हूँ मैं

फिर से तुम्हारी याद दिलाई गई मुझे
फिर से उसी गली से गुज़ारी गई हूँ मैं

तन्हाइयाँ तुम्हारा पता पूछने लगीं
जिस दिन से ज़िंदगी से तुम्हारी गई हूँ मैं

मैं आसमाँ पे चाँद सितारों की सफ़ में थी
तेरे लिए ज़मीं पे उतारी गई हूँ मैं

तुम ने जो मुस्कुरा के 'तबस्सुम' कहा मुझे
तुम पर तुम्हारे नाम पे वारी गई हूँ मैं
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Jahan Ara Tabassum
सर-निगूँ सारा जहाँ है मामता के सामने
बद-दुआ' में है दुआ उस की दुआ के सामने

मैं तुम्हारे सामने इस वास्ते ख़ामोश हूँ
फ़ैसला हो जाएगा इक दिन ख़ुदा के सामने

इज़्ज़त-ओ-शोहरत मोहब्बत से ये दामन भर गया
शुक्र के सज्दे करूँ रब की अता के सामने

कर चुकी है अब जहाँ-आरा 'तबस्सुम' हौसला
रख दिया है अब दिया ला कर हवा के सामने

किस क़दर ज़ालिम है ये दुनिया तअ'ज्जुब है मुझे
बेवफ़ा कहती है मुझ को बेवफ़ा के सामने

ऐसा लगता है कि महफ़िल मुस्कुराने लग गई
आ के जब वो बैठता है मुस्कुरा के सामने

एक मैं हूँ और इक धक धक धड़कता दिल मिरा
ग़ैर को तकता है वो मुझ को बिठा के सामने

यार नज़रों से परे था आइना भी था परे
सज-सँवर के आ गई जान-ए-अदा के सामने

क्या कहूँ कैसे कहूँ किस से कहूँ और क्यूँ कहूँ
सोचती हूँ चुप रहूँ उस नाख़ुदा के सामने

आज नज़रों से मिलीं नज़रें तो वो कहने लगा
फिर से क्यूँ तुम आ गई हो मुस्कुरा के सामने

पहले उस ने क्या कहा फिर क्या कहा फिर क्या कहा
मेरा तू ने ख़त रखा जब दिलरुबा के सामने

इन अँधेरों से न घबरा तू कि तेरे वास्ते
मैं ने अपना रख दिया है दिल जला के सामने

लफ़्ज़ बारिश की तरह मुझ पर बरसते जाएँ फिर
शे'र जब कहने लगूँ उस को बिठा के सामने

जब तलक दुनिया में काग़ज़ और क़लम मौजूद हैं
बा-वफ़ा लिखती रहूँगी बेवफ़ा के सामने

क्यूँ तिरा प्यारा 'तबस्सुम' आज फीका पड़ गया
हार क्यूँ मानी है तू ने फिर जफ़ा के सामने
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Jahan Ara Tabassum
थी कहाँ जुरअत किसी में हाँ मगर उस ने किया
दिल के इस ख़ाली मकाँ को आज घर उस ने किया

इक ज़माना था कि दुनिया थी मिरे क़दमों तले
फिर ज़माने भर से मुझ को बे-ख़बर उस ने किया

मैं ने जिस की राह में दिल को जला कर रख दिया
मुझ को सीधे रास्ते से दर-ब-दर उस ने किया

मस्त नज़रों के शराबी को भला क्या चाहिए
इक झलक के वास्ते कितना सफ़र उस ने किया

फूल ख़ुश्बू रंग तितली इस्तिआ'रे हैं मगर
मुझ को ये सब नाम दे कर मो'तबर उस ने किया

आज उस के दिल में मेरी याद फिर रौशन हुई
आज फिर रौशन दिया दीवार पर उस ने किया

हाथ में वो हाथ मेरा थाम कर चलता रहा
ज़िंदगी के फ़ासलों को मुख़्तसर उस ने किया

फूल कलियाँ जिस के कॉलर में सजा कर आ गई
ज़िंदगी की खेतियों को बे-समर उस ने किया

जिस के होंटों पर तबस्सुम था 'तबस्सुम' के लिए
वो तबस्सुम ग़ैर के फिर नाम पर उस ने किया
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Jahan Ara Tabassum