Jameel Usman

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@jameel-usman

Jameel Usman shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Jameel Usman's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Nazm
पूरा चाँद निकलता है तो भेड़िया अक्सर रोता है
रात को कुत्ता भौं भौं करता दिन को उल्लू सोता है

शेर की ख़ाला बिल्ली उस को क्या क्या सबक़ पढाती है
खम्बा नोचने लगती है बेचारी जब खिसियाती है

भैंस के कान से काला कव्वा जूएँ चुगता जाता है
बोली भैंस कि ''ऐ कव्वे क्यूँ मेरे कान तू खाता है''

ऊँट की कल सीधी करने को आए थे कुत्ते राजा
बोला ऊँट कि ''पहले तू अपनी दुम सीधी कर जा जा''

जुगनू की दुम से चमगादड़ लेने थोड़ी आग गया
गीदड़ की भभकी से डर कर बागड़ बिल्ला भाग गया

चमगादड़ की बीवी दरवाज़े से उल्टी लटक गई
पूरा हाथी निकला लेकिन दुम हाथी की अटक गई

बंदर बाँट रहा था फलियाँ बोला गिध हो के बरहम
''ये अच्छी तक़्सीम है तेरी ख़ुद ले ज़ियादा हम को कम''

हाथी के दाँतों को चूहे ने देखा तो ये बोला
ये तो दाँत दिखाने के हैं खाने वाले दाँत दिखा

बुढ्ढा तोता पढ़ने की धुन में इक दिन स्कूल गया
कव्वा हँस की चाल चला तो अपनी चाल ही भूल गया

साँप के बदले भैंस के आगे चूहिया बीन बजाएगी
अब के ईद पे बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम लगाएगी

मोर किसे जंगल में जा कर अपना नाच दिखाता है
गीदड़ की शामत आए तो शहर की जानिब जाता है

दुंबा ज़र्राफ़े की गर्दन नापने को तय्यार हुआ
मुर्ग़ाबी के अंडे खा कर साँप बहुत बीमार हुआ

बन-मानुस की नाक पे मक्खी बैठी लेकिन फिसल गई
भालू को आता देखा तो शहद की मक्खी सँभल गई

आधा तीतर खाया लेकिन भूका रह गया बब्बर शेर
शेरनी उस के वास्ते ले कर आई आधा और बटेर

उल्लू को हर शाख़ पे बैठा देख के टट्टू ख़्वार हुआ
मेंडक की टर-टर से दरियाई घोड़ा बेज़ार हुआ

अल्लाह-जी की गाए पड़ोसन के घर खाने फली गई
पूरे नौ सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली गई
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Jameel Usman
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ये माह-ओ-साल की गर्दिश ये मेरी तन्हाई
ये ज़िंदगी का सफ़र और ये आबला-पाई
बहुत हसीं है ये मंज़र मगर तुम्हारे बग़ैर
मिरे वजूद पे हर दम है मुर्दनी छाई
अगरचे आम है फ़ितरत का हुस्न हर जानिब
मिरे लिए तो कशिश इस में है न ज़ेबाई
ये काएनात-ओ-कवाकिब ये कहकशाँ ये शहाब
ज़मीन का ये तसलसुल फ़लक की पहनाई
बुलंदी कोह की सहरा की बे-कराँ वुसअ'त
नदी का शोर हो या बहर की हो गहराई
नशेब-ए-कोह में सब्ज़े का मख़मलीं बिस्तर
शफ़क़ का सुर्ख़ लिबादा गुलों की रानाई
जवार-ए-सहन-ए-गुलिस्ताँ में आहुओं का ख़िराम
चमन में शोख़ अनादिल की नग़्मा-आराई
शह-ए-नुजूम की आमद की दिल-पज़ीर ख़बर
नसीम-ए-सुब्ह गली कूचों में सुना आई
किरन का फूटना मशरिक़ से बा-सहर-हंगाम
सुकूत-ए-शब में सितारों की बज़्म-आराई
वो मय-कदे में सर-ए-शाम मय-कशों का हुजूम
पिलाए जाम वो साक़ी ने सब की बन आई
हसीन रात की सोहबत सबा की सरगोशी
उरूस-ए-माह छुपी बादलों में शर्माई
जहाँ भी हुस्न की जल्वा-नुमाइयाँ देखीं
तुम्हारी याद मिरी जान बे-हिसाब आई
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