Kabir Ahmad Jaisi

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@kabir-ahmad-jaisi

Kabir Ahmad Jaisi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Kabir Ahmad Jaisi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
अपना तो ख़ैर ज़िक्र क्या कोई नहीं निगाह में
उम्र तमाम हो गई छोटे से इक गुनाह में

किस का ख़िराम-ए-नाज़ था कौन था ग़म की राह में
नूर सा इक चमक उठा क़ल्ब-ए-शब-ए-सियाह में

कौन समझ सके उसे रब्त-ए-निहाँ की बात है
हुस्न की हर अदा मिली इश्क़ के इश्तिबाह में

तेरी निगाह-ए-नीम-वा काम तो अपना कर गई
कैफ़-ए-दवाम दे गई कुल्फ़त-ए-गाह-गाह में

देखो चराग़-ए-आगही राह-ए-जुनूँ में बुझ गया
अक़्ल के होश गुम हैं अब एक ही इंतिबाह में

एक मक़ाम है जहाँ एक हैं अक्स-ओ-आइना
इश्क़ को जा के देखिए हुस्न की जल्वा-गाह में

देख रही है आज भी मेरी निगाह-ए-गर्म-ओ-तेज़
छुपने को छुप गए हो तुम पर्दा-ए-मेहर-ओ-माह में

महफ़िल-ए-ज़ीस्त में 'सबा' होगा नज़र का हाल क्या
आग सी जब भड़क उठी क़ल्ब-ए-जुनूँ-पनाह में
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