Laiq Akbar sahaab

Laiq Akbar sahaab

@laiq-akbar-sahaab

Laiq Akbar sahaab shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Laiq Akbar sahaab's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Ghazal
  • Nazm
देखा उसे, क़मर मुझे अच्छा नहीं लगा
छू कर उसे, गुहर मुझे अच्छा नहीं लगा

चाहा उसे तो यूँ कि न चाहा किसी को फिर
कोई भी उम्र भर मुझे अच्छा नहीं लगा

आईना दिल का तोड़ के कहता है संग-ज़न
दिल तेरा तोड़ कर मुझे अच्छा नहीं लगा

दिल से मिरे ये कह के सितमगर निकल गया
दिल है तिरा खंडर मुझे अच्छा नहीं लगा

उगला सफ़र हो मेरे ख़ुदा राहतों भरा
जीवन का ये सफ़र मुझे अच्छा नहीं लगा

देखा जो इस के दर पे रक़ीबों का इक हुजूम
फिर उस के घर का दर मुझे अच्छा नहीं लगा

तज्दीद-ए-रस्म-ओ-राह पे वो तो रहा मुसिर
वो बेवफ़ा मगर मुझे अच्छा नहीं लगा

इस का ही ज़िक्र बस तुम्हें अच्छा लगे 'सहाब'
कहते हो तुम मगर मुझे अच्छा नहीं लगा
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Laiq Akbar sahaab