Lateef Farooqi

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Lateef Farooqi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Lateef Farooqi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Nazm
किसी क़स्बे में एक था अमरूद
बीसों में वो नेक था अमरूद
पढ़ने जाता था वो नमाज़ वहाँ
आदमी इक नज़र न आए जहाँ
ख़ौफ़ उस को हमेशा रहता था
आदमी कोई मुझ को खा लेगा
शौक़ बोला कि एक दिन जाओ
किसी मस्जिद में जा नमाज़ पढ़ो
छोटी सी मस्जिद इक क़रीब ही थी
थे वहाँ डट के बैठे मुल्ला जी
चुपके चुपके ख़ुदा की ले कर आस
चल के जा बैठा जूतियों के पास
जूँही सज्दे में उस ने रखा सर
आए मुल्ला जी उस तरफ़ उठ कर
ऐसे मुल्ला नदीदे होते हैं
देख के खाने होश खोते हैं
हलवा खाते हैं नान खाते हैं
जब मिले कुछ न जान खाते हैं

झपटे उस पर पकड़ लिया अमरूद
चीख़ा चिल्लाया रो पड़ा अमरूद
कहा अमरूद ने कि मुल्ला जी
हो अगर आज मेरी जाँ-बख़्शी
फल खिलाउँगा आप को ऐसा
अच्छा मुझ से है ज़ाइक़ा जिस का
फिर कहा ये कि मेरे साथ आएँ
जिस जगह मैं कहूँ ठहर जाएँ
इक दुकाँ के क़रीब आ के कहा
आईये देखिए है कैसा मज़ा
केला जल्दी से इक उठा लीजे
और मस्जिद में चल के खा लीजिए
मालिक उस का वहाँ न था मौजूद
मुल्ला मौजूद था ख़ुदा मौजूद
केला मस्जिद के पास ले के चले
चलते चलते वो आख़िर आ पहुँचे
कहा अमरूद ने निकालिए आप
छील कर केला उस को खाइए आप
लगे मस्जिद में जाने जब खा कर
आ गया उन का पाँव छिलके पर
वाए क़िस्मत कि आप ऐसे गिरे
एक घंटे से पहले उठ न सके
मौक़ा पाते ही चल दिया अमरूद
दे के मुल्ला को जुल गया अमरूद
हिर्स का ख़ूब ही मज़ा पाया
दूध उन को छटी का याद आया
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आए हैं आसमान पर बादल
छाए हैं आसमान पर बादल
अब्र ही अब्र देखते हैं हम
है बरसने को जो अभी छम-छम
और मालूम ऐसा होता है
छुप के ख़ुर्शीद जैसे सोता है
घर के कोठे पे एक दो बच्चे
चारपाई पे हैं डटे बैठे
बोलियाँ भाँत भाँत हैं उन की
मीठी मीठी हैं भोली भाली सी

एक बोला कि जानते हो क्या
क्या है ये आसमान पर छाया
रूई के गाले नाम है इन का
आना और जाना काम है इन का
जब पहाड़ों से लोग आते हैं
रूई के गाले साथ लाते हैं
कर के अच्छी तरह से इन को साफ़
लम्बे चौड़े बनाते हैं वो लिहाफ़

बात सच ये है दूसरा बोला
आसमान पर लगा है इक ख़ेमा
है ग़लत ये भी तीसरे ने कहा
अस्ल में है ये दूध का दरिया
आसमाँ वाले इस को पीते हैं
इस को पी कर फ़रिश्ते जीते हैं

मिल के यूँ सब ने ऐसी बातें कीं
नन्हे नन्हों ने नन्ही बातें कीं
देखते देखते हुआ फिर क्या
मूसला-धार मेंह बरसने लगा
प्यारे बच्चे ये लाडले बच्चे
अपने अपने घरों को भाग गए
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चलो भय्या तुम को बनाऊँ मैं घोड़ा
बनोगे जो घोड़ा तो मारूँगी कोड़ा
न आएगी लेकिन ज़रा चोट तुम को
सिला दूँगी प्यारा सा इक कोट तुम को
चलोगे शपा-शप तो दूँगी मैं चारा
रुकोगे तो खाओगे चाँटा करारा
ये चाँटा न होगा मगर मार कोई
समझ लो कि जैसे करे प्यार कोई
तुम्हारे लिए मैं ने गाड़ी बनाई
हर इक शय क़रीने से इस में लगाई
पड़ा है जो कपड़ों का संदूक़ इस में
डराने को रख ली है बंदूक़ इस में
और इक नन्ही छतरी भी रख ली है मैं ने
कड़ी धूप के ख़ौफ़ से मेंह के डर से
कि शायद झुके अब्र बूँदें गिराने
तो बच जाऊँ बारिश से छतरी लगा के
तुम्हें क्या ज़रूरत कि हो तुम तो घोड़ा
चलो अब जुतो वर्ना मारूँगी कोड़ा
जो मानोगे कहना तो ले दूँगी लट्टू
नहीं तो हो तुम आज से मेरे टट्टू
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