Mahmooda Gaziya

Mahmooda Gaziya

@mahmooda-gaziya

Mahmooda Gaziya shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Mahmooda Gaziya's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Nazm
मसाइब उलझनें बे-ताबियाँ बे-ख़्वाबियाँ लिक्खूँ
मगर खेतों की शादाबी
गुलों की रौनक़ें कलियों का धीमा हुस्न रौशन फूल अंगारे
फ़लक पर जगमगाते माह-ओ-अंजुम का सजीला-पन
सबा की शोख़ियाँ नर्मी हवा की गुल का पैराहन
जो मंज़र मुझ से बाहर हैं
कभी लगता है शायद मुझ से बेहतर हैं
कभी लगता है मुझ को
कि वो बे-ताबियाँ बे-ख़्वाबियाँ जो मेरे अंदर हैं
उन्हें कलियों का धीमा-पन सजावट माह-ओ-अंजुम की अचानक मिल गई जैसे
सबा की शोख़ियों से गुदगुदाने वाले दिन आए
हवा का नर्म झोंका जो अभी आँचल से उलझा था कोई पैग़ाम लाया है
गुलों की रौनक़ें कलियों का धीमा हुस्न रौशन फूल अंगारे
फ़लक पर जगमगाते माह-ओ-अंजुम का सजीला-पन
सबा की शोख़ियाँ नर्मी हवा की गुल का पैरहन
ये मंज़र मेरे अंदर यूँ उतरते जा रहे हैं
सबा की शोख़ियों से गुदगुदाने वाले दिन आए नहीं तो
आ रहे हैं
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