Paikar Jafari

Paikar Jafari

@paikar-jafari

Paikar Jafari shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Paikar Jafari's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
तुम याद न जाने क्यों आए क्यों गुज़रा ज़माना याद आया
हम जिस को हक़ीक़त समझे थे वो आज फ़साना याद आया

क्यों रिश्ता-ए-उल्फ़त टूट गया क्यों हाथ से दामन छूट गया
किस तरह भुलाई याद तिरी वो आज भुलाना याद आया

वो पिछली मोहब्बत याद आई वो तेरी शरारत याद आई
वो खेंच के चादर हाथों से सोने से जगाना याद आया

वो नींद तिरी जगते जगते वो जाग तिरी सोते सोते
वो हुस्न-ओ-नज़ाकत याद आई वो तेरा जगाना याद आया

शर्मिंदा-ए-गुल रुख़्सार तिरे रेशम सी मुलाएम वो ज़ुल्फ़ें
आँखों के छलकते साग़र से वो मय का पिलाना याद आया

बाहों को कभी डाला हँस कर खींचा तो कभी आँचल हट कर
वो आ के ख़ुशी से कुछ कहना वो रूठ के जाना याद आया

ये याद रहे बाक़ी 'पैकर' ये भूल रहे बाक़ी 'पैकर'
वो भूल की जिस की याद आई वो याद भुलाना याद आया
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Paikar Jafari
तिरी नज़र में जो ये आब-ओ-ताब बाक़ी है
ज़रूर कोई तो ख़ाना-ख़राब बाक़ी है

अभी अज़ान के होने में देर है लोगो
अभी तो जाम में थोड़ी शराब बाक़ी है

ये ज़िंदगी का नविश्ता अजल के हाथ आया
गुनाह ख़त्म हुए अब अज़ाब बाक़ी है

लहू में कोई हरारत नहीं रही उन के
ज़बाँ पे ना'रा-ए-सद-इंक़लाब बाक़ी है

अभी से आप ने क्यों उँगलियाँ जला डालीं
अभी तो ख़ून-ए-जिगर का हिसाब बाक़ी है

ये मक़बरा है बस अल्फ़ाज़ और मआ'नी का
किताब-ख़्वाँ तो नहीं है किताब बाक़ी है

अभी तो चाँद भी बाक़ी है उस की दुनिया भी
ये कौन कहता है बस आफ़्ताब बाक़ी है

नज़र हर एक की बे-पर्दा हो गई जैसे
दिलों में आज भी लेकिन हिजाब बाक़ी है

न तिश्नगी का मुदावा उसे समझ 'पैकर'
तिरी नज़र में जो दश्त-ए-सराब बाक़ी है
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