Parvindar shokh

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Parvindar shokh shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Parvindar shokh's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
लबों से आँख से रुख़्सार से क्या क्या नहीं करता
वो जादू कौन सा है जो कि वो चेहरा नहीं करता

मैं सारे काग़ज़ों पे एक मिस्रा लिख के रक्खूँगा
वो जब तक आ के मेरे शे'र को पूरा नहीं करता

फ़सादों में जो शामिल हैं वो मोहरे हैं सियासत के
ख़ुद अपने आप कोई भी यहाँ दंगा नहीं करता

हवाओं में नगर की इस क़दर कुछ ज़हर फैला है
न गुल देते हैं ख़ुशबू पेड़ भी साया नहीं करता

जो लिखता हूँ वो होता है फ़क़त तस्कीन की ख़ातिर
मैं अपनी शाइ'री का शहर में सौदा नहीं करता

मुझे मंज़ूर है बीमार रहना उम्र-भर यूँ ही
वो जब तक हाथ से छू कर मुझे अच्छा नहीं करता

चलो माना कि अपनी अहमियत है 'शोख़' दौलत की
ज़माने में मगर हर काम ही पैसा नहीं करता
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Parvindar shokh
आज़माने ज़ीस्त की जब तल्ख़ियाँ आ जाएँगी
रू-ब-रू सारी हमारी ख़ामियाँ आ जाएँगी

शर्त ये है आप के हाथों सजाएँ गुल-दान में
फूल काग़ज़ के भी हों तो तितलियाँ आ जाएँगी

बे-ज़बाँ रहने का सारा लुत्फ़ ही खो जाएगा
ज़द में आवाज़ों के जब ख़ामोशियाँ आ जाएँगी

सूख जाएँगे समुंदर जब भी बाहर के कभी
घर में मेरे हसरतों की मछलियाँ आ जाएँगी

चिलचिलाती धूप में वो जब भी आएँगे नज़र
एक पल में शहर में फिर सर्दियाँ आ जाएँगी

आँख में महबूब की शिद्दत से देखो झाँक कर
शाइ'री की सब तुम्हें बारीकियाँ आ जाएँगी

याद कर के वस्ल के पल काट लेंगे ज़िंदगी
दरमियाँ जब भी हमारे दूरियाँ आ जाएँगी

अस्ल में तो तब ही होगा 'शोख़ उस का इम्तिहाँ
सामने जब प्यार के मजबूरियाँ आ जाएँगी
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