Prince Jain

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@princejain1986

Prince Jain shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Prince Jain's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
तेरा नाम ले के ग़ज़ल कही तो ये लफ़्ज़ लफ़्ज़ निखर गए
जो गिरे पड़े से ख़याल थे मेरी इस ग़ज़ल में सँवर गए

तेरा अपना कोई वजूद है तो क़रीब आ न नज़र मिला
मेरा दिल ग़ज़ब का है आइना कई अक्स इसमें उतर गए

कोई अब तलक भी बचा है क्या मेरी शायराना निगाह से
न जवाब है न हिसाब है यहाँ कितने आए गुज़र गए

मुझे भूलना था जिसे यहाँ वो भी इस क़दर मुझे याद है
कोई बात उसकी निकल गई तो दबे से ज़ख़्म उभर गए

ज़रा देख दुनिया की क़ब्र में कोई नाम उनका मिला है क्या
जो बता रहे थे ख़ुदा हूँ मैं वही लोग सारे किधर गए

कभी इस्तिमाल में आएगी कई हरकतें ये शरारतें
मेरे इर्द-गिर्द खड़े हैं जो मेरी इस मुहिम से ही डर गए

यहाँ बीत कर जो गुज़र गईं ये लड़ाइयाॅं अभी ख़त्म हो
इसी ज़ात धर्म के नाम पर भी न जाने कितने ही सर गए

कोई बात कर तो लिहाज़ कर मैं ग़ज़ल का सच्चा अदीब हूँ
मेरी गुफ़्तुगु मेरे लहजे से ही न जाने कितने सँवर गए

किसी अंजुमन में तितर-बितर हो रही थी भीड़ यहाँ वहाँ
मुझे जिसने जिसने सुना यहाँ सभी कुर्सियों पे ठहर गए
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पापा की परियों ने यहाँ कैसा बवाल कर दिया
तोतला बोल बोल कर सबको निढाल कर दिया

पहले पहल के इश्क़ ने क्या मेरा हाल कर दिया
गालों को चूम चूम कर चेहरे को लाल कर दिया

अहले वफ़ा से इश्क़ में कुछ भी नहीं मिला मुझे
अगली दफ़ा ये दिल मगर थोड़ा सँभाल कर दिया

मैंने तेरा ये हुस्न भी मेरी ग़ज़ल में लिक्खा है
बस तेरे हुस्न ने मेरा लिखना निहाल कर दिया

पहली नज़र में ही मेरी ज़िंदगी हाथ से गई
कत्थई आँखों ने तेरी कुछ तो कमाल कर दिया

चीख़ रही थी भूख से एक बिलखती ज़िंदगी
मैंने भी काॅंसे से मेरा सिक्का निकाल कर दिया

जब मेरी लफ़्ज़ों से ठनी फिर ही चला क़लम मेरा
शायरी से मैंने भी फिर कितना धमाल कर दिया

चाँदनी चाँद तारे सब इश्क़िया लफ़्ज़ बन गए
इश्क़ ने आसमान को यूँ बे मिसाल कर दिया

उसने दिया जवाब था डंके की चोट पर कभी
इसलिए मैं ने भी वहाँ एक सवाल कर दिया

सारे चिराग़ बुझ गए शहर में आधी रात को
मैंने भी जुगनू हाथ में रख के उजाल कर दिया
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मुझे सर्द रातों में किस तरह यहाँ गर्म गर्म सा कर दिया
तेरे इक छुअन ने नया नया मेरे जिस्म को ये असर दिया

कहाँ चूमा मुझको बता ज़रा मेरे गाल थे कि मेरा होंठ था
मैं भी खोज खोज के थक गया कि इधर दिया कि उधर दिया

ज़रा हुस्न कोई निहार लूँ किसी हुस्न पर कहूँ इक ग़ज़ल
किसी नाज़नी ने कभी मुझे कोई इख़्तियार अगर दिया

ये सफ़र भी कोई सफ़र है क्या जहाँ हिज्र भी है विसाल भी
कि बिछड़ के तूने यहाँ मेरा ये सफ़र भी यादों से भर दिया

मेरे ख़ानदान में शायरी कहीं दूर दूर तलक नहीं
मुझे क्या पता मुझे क्या ख़बर मुझे किसने ऐसा हुनर दिया

मेरे पहले पहले ही इश्क़ के जो लिखा गया था हिसाब में
उसे चूम कर तेरी याद ने वो ही ख़त ज़रा सा कुतर दिया

बड़ी देखभाल के इसको तू बड़े नाज़ से ही सँभालना
तू नसीब है यही मान कर तुझे काट कर ये जिगर दिया
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दिन रात सुबह शाम तेरी आरज़ू करें
तू ख़्वाब में मिले तो ज़रा गुफ़्तुगु करें

पहचान फूल की यहाँ मुश्किल बड़ी है तो
ख़ुशबू के साथ मिल के कोई जुस्तुजू करें

हम आप की नज़र से मुख़ातिब हैं इस तरह
फूलों से भँवरे जैसे कोई गुफ़्तुगु करें

दुनिया के पास कुछ हमें मिलना नहीं तो फिर
बरबाद वक़्त कितना यहाँ फालतू करें

तन्हा गुज़र न जाए मेरी रात इसलिए
मद मस्त मेरी नींद में वो आ के हू करें

तस्वीर उनकी देखना काफ़ी नहीं हमें
वो ख़ुद नज़र के सामने हों रू-ब-रू करें

आशिक़ मिजाज़ दे रहे फ़रमान बाग़ को
हम सारी तितलियों को यहाँ रंग-ओ-बू करें

ख़ुद पाक साफ़ है ये पसीना बहाइए
टपका जो जिस्म से तो हज़ारों वुज़ू करें

मिलना नहीं है प्यार किसी बेवफ़ा से तो
क्यों बेवफ़ा के प्यार में दिल का लहू करें
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