Qamar Hashmi

Qamar Hashmi

@qamar-hashmi

Qamar Hashmi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Qamar Hashmi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

Followers

0

Content

2

Likes

0

Shayari
Audios
  • Nazm
दूधिया रंग के क़ुमक़ुमे
दूधिया रौशनी
जामुनी रंग शीशों पे ये रौशनी का धुआँ
ज़ेहन की धीमी धीमी सुलगती हुई आग का इम्तिहाँ
कुछ ग्रे रंग के सूट
कुछ चम्पई सारियाँ
दस्त-ए-नाज़ुक में दस्त-ए-सबा अध-खिली
ख़्वाब-आलूद आँखों में अफ़्साने
ना-ख़्वास्ता गुफ़्तुगू
हम-नशीनी से अंगड़ाई के साथ पहलू तही
जज़्ब करती पसीने को बर्क़ी हवा
सरसराते हुए आँचलों से
शफ़क़ रंग जिस्मों की उठती महक
और लता एक मानूस आवाज़ की धार
क्लासिकी लहरों से उठ कर दिलों में उतरती हुई
नग़्मगी शहद आहंग है
नग़्मगी निकहत-ओ-रंग है
मेज़ पर शो'ला-ए-तूर है
सारतर सेल्फ़ में बंद है
काग उड़ाती हुई बोतलों का सुरूर
आगही के लिए ज़हर है
Read Full
Qamar Hashmi
0 Likes
मैं अपनी रूह-ए-अज़ाब-गर से ये कह रहा था
कि रूह की प्यास और बदन की तलब में
एक रब्त-ए-बाहमी है
न रूह सरशार है न ताबिंदगी-ए-तन है
ये रेज़ा रेज़ा जो रिज़्क़ पहुँचा है तार-ओ-पू का
सरिश्ता-ए-ना-तवाँ है अर्ज़-ए-हुनर के दामान-ए-बे-रफू का
ये लुक़मा-ए-ख़ुश्क-ओ-हल्क़-फ़र्सा
कभी तो लज़्ज़त-ए-शिआ'र-ए-काम-ओ-दहन भी होता
फ़सील-ए-तन मावरा-ए-पस-ख़ुर्दगी भी होती
मैं दस्त-ए-कोताह-गीर दौलत से पूछता हूँ
कि उम्र भर तू ने काग़ज़ी पैरहन सिए क्यूँ
ज़बान-ए-आलूदा-कार को सी के बैठ जाता
तू सख़्त-कोश अज़ाब-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ न सहती
ये लम्हे आसार-ए-बाक़िया हैं
कि जिन में साँसें भी घट रही हैं
तलब है दरयूज़ा-गर कि उस ने
शिकस्त दिल की पनाह ढूँडी
क़लम चला है तो रौशनाई के अश्क टपका
न लौह-ए-दिल पर
हरीफ़ को अपने साथ मक़्तल की धूप में ला
सवाद-ए-महरुमी-ए-बशर तो नहीं
गुज़र-गाह-ए-ना-मुरादी
पहाड़ काटे हैं जुरअतों ने
ख़राबा-ए-ज़हन पर तमाज़त ग़ुरूर की है
समन-बरी साया-गुस्तरी है
उसी को ज़हराब-ए-आगही दे
उसी से ता'मीर आशियाँ कर
Read Full
Qamar Hashmi
0 Likes