Rafiq Sandelvi

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@rafiq-sandelvi

Rafiq Sandelvi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Rafiq Sandelvi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Ghazal
  • Nazm
मिटती हुई तहज़ीब से नफ़रत न किया कर
चौपाल पे बूढ़ों की कहानी भी सुना कर

मालूम हुआ है ये परिंदों की ज़बानी
थम जाएगा तूफ़ान दरख़्तों को गिरा कर

पीतल के कटोरे भी नहीं अपने घरों में
ख़ैरात में चाँदी का तक़ाज़ा न किया कर

मुमकिन है गरेबानों में ख़ंजर भी छुपे हों
तू शहर-ए-अमाँ में भी न बे-ख़ौफ़ फिरा कर

माँगे हुए सूरज से तो बेहतर है अंधेरा
तू मेरे लिए अपने ख़ुदा से न दुआ कर

तहरीर का ये आख़िरी रिश्ता भी गया टूट
तन्हा हूँ मैं कितना तिरे मक्तूब जला कर

आती हैं अगर रात को रोने की सदाएँ
हम-साए का अहवाल कभी पूछ लिया कर

वो क़हत-ए-ज़िया है कि मिरे शहर के कुछ लोग
जुगनू को लिए फिरते हैं मुट्ठी में दबा कर
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Rafiq Sandelvi
ज़मीन पाँव तले सर पे आसमान लिए
निदा-ए-ग़ैब को जाता हूँ बहरे कान लिए

मैं बढ़ रहा हूँ किसी राद-ए-अब्र की जानिब
बदन को तर्क किए और अपनी जान लिए

ये मेरा ज़र्फ़ कि मैं ने असासा-ए-शब से
बस एक ख़्वाब लिया और चंद शम्अ-दान लिए

मैं सतह-ए-आब पे अपने क़दम जमा लूँगा
बदन की आग लिए और किसी का ध्यान लिए

मैं चल पड़ूँगा सितारों की रौशनी ले कर
किसी वजूद के मरकज़ को दरमियान लिए

परिंदे मेरा बदन देखते थे हैरत से
मैं उड़ रहा था ख़ला में अजीब शान लिए

क़लील वक़्त में यूँ मैं ने इर्तिकाज़ किया
बस इक जहान के अंदर कई जहान लिए

अभी तो मुझ से मेरी साँस भी थी ना-मानूस
कि दस्त-ए-मर्ग ने नेज़े बदन पे तान लिए

ज़मीं खड़ी है कई लाख नूरी सालों से
किसी हयात-ए-मुसलसल की दास्तान लिए
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