Saadat Aabidi

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Saadat Aabidi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Saadat Aabidi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
चली जाना है सारी आब-ओ-ताब आहिस्ता आहिस्ता
कि जैसे ख़त्म होती है किताब आहिस्ता आहिस्ता

यूँही आहिस्ता आहिस्ता न जाने हम कहाँ पहुँचें
कि हम ने कर लिया सर माहताब आहिस्ता आहिस्ता

ज़माना कह रहा है इंक़लाब और मुझ को लगता है
चली आती है मौज-ए-इज़्तिराब आहिस्ता आहिस्ता

अगर होती रहीं उल्टी यूँही ख़्वाबों की ता'बीरें
न आँखें तर्क कर दें अपने ख़्वाब आहिस्ता आहिस्ता

कहीं एहसास-ए-नाकामी न हो जिस के छुपाने को
ये ना'रा हो हम होंगे कामयाब आहिस्ता आहिस्ता

उठो रू-पोश होने जा रहे हैं लफ़्ज़ उर्दू से
छपा है जिस तरह लफ़्ज़-ए-शिताब आहिस्ता आहिस्ता

'सआदत' काश कोई फ़ाएदा तू भी उठा लेता
रवाना हो गया तेरा शबाब आहिस्ता आहिस्ता
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फ़ज़ा ऐसी ब-फ़ैज़-ए-बाग़बाँ मालूम होती है
बहार-ए-गुल्सिताँ मिस्ल-ए-ख़िज़ाँ मालूम होती है

कुछ अपनों का करम है कुछ निगाह-ए-अस्र-ए-हाज़िर है
हयात इक हसरतों की दास्ताँ मालूम होती है

अजब तहक़ीर सी तफ़रीक़-ओ-बे-ज़ारी सी नफ़रत सी
दरून-ए-क़ल्ब मीर-ए-कारवाँ मालूम होती है

दिलों में मस्जिदों में मंदिरों में दर्स-गाहों में
सियासत ही सियासत हुक्मराँ मालूम होती है

गिरानी रिश्वतें घपले ग़बन इफ़्साद गोली बम
यही आज़ादी-ए-हिन्दोस्ताँ मालूम होती है

ख़ुशामद इस क़दर भी साथियो अच्छी नहीं लगती
तुम्हारे मुँह में औरों की ज़बाँ मालूम होती है

'सआदत' झाँक उन के दिल में ख़ुद नफ़रत भरी होगी
ये दुनिया जिन को नफ़रत का जहाँ मालूम होती है
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ये भूके लोग जिस दिन घर से सड़कों पर निकल आए
करोगे क्या अगर इन बे-परों के पर निकल आए

बहुत हुशियार लोगो इस नई तारीख़ के हाथों
न जाने कब तुम्हारा घर किसी का घर निकल आए

कहीं के फूल पत्ते हैं कहीं के फल कहीं के हैं
अजब से पेड़ अब भारत की धरती पर निकल आए

जहाँ सब बिक रहा हो उस जगह ऐसा भी मुमकिन है
मिरे ही क़त्ल का इल्ज़ाम मेरे सर निकल आए

दर-ए-तक़दीस को जब वा किया तो क़स्र-ए-हुर्मत से
बताऊँ किस ज़बाँ से कितने सौदागर निकल आए

तुम्हारा और तुम्हारे नज़्म का उस रोज़ क्या होगा
कभी सोचा है दीवारों में जिस दिन दर निकल आए

'सआदत' आप इस दीदा-वरों की भीड़ में ढूँडें
बहुत मुमकिन है इन में कोई दीदा-वर निकल आए
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