Saarik Khan Saarik

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Saarik Khan Saarik shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Saarik Khan Saarik's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Ghazal
इश्क़ में हारा हुआ हूँ कामरानी कुछ नहीं
मेरे हिस्सा में सनम की मेहरबानी कुछ नहीं

छोड़ कर तितली गई है जब से दिल के बाग़ को
दिल में बस वीरानियाँ हैं रुत सुहानी कुछ नहीं

कश्ती से बिछड़ा जो दरिया अब तलक सदमे में है
जम गई है बर्फ़ इस में और रवानी कुछ नहीं

आईने को हैरतें है हाल मेरा देख कर
दाग़ चेहरे पे है मेरे नौजवानी कुछ नहीं

ख़त जलाए मैं ने सारे जो दिए थे यार ने
पास मेरे उस की साहब अब निशानी कुछ नहीं

ख़ल्वतों के साए में हूँ यार इक मुद्दत से मैं
चार सू है बस उदासी शादमानी कुछ नहीं

डाकिया ही थे कबूतर पहले मोबाइल न था
बातें सारी ख़त से की थीं मुँह-ज़बानी कुछ नहीं

बिन तिरे कैसे कहूँ अब किस तरह बतलाऊँ मैं
साँस चलती है फ़क़त ये ज़िंदगानी कुछ नहीं

मुद्दतें गुज़री हैं 'सारिक़' यार को देखे हुए
क्या करें लब से बयाँ अब ख़ुश-बयानी कुछ नहीं
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Saarik Khan Saarik