Saba Alam Shah

Saba Alam Shah

@saba-alam-shah

Saba Alam Shah shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Saba Alam Shah's shayari and don't forget to save your favorite ones.

Followers

0

Content

3

Likes

0

Shayari
Audios
  • Ghazal
ये दिल फ़रेब-ए-तमन्ना में बे-क़रार किया
यही है जुर्म जिसे हम ने बार-बार किया

न हम ने सूद-ओ-ज़ियाँ देख कर मोहब्बत की
न नफ़रतों का कभी हम ने कारोबार किया

शिकस्ता-रूह सुलगती निगह दिल-ए-महजूर
न पूछ कैसे हर इक ज़ख़्म का शुमार किया

तिरे जमाल-ए-नज़र ने दिया फ़रेब हमें
उसी फ़रेब-ए-नज़र ने है अश्क-बार किया

नवा-ए-सुब्ह-ए-अज़ल तेरी चाह में हम ने
न पूछ दश्त-ए-ख़मोशाँ को कैसे पार किया

नज़र न आई हक़ीक़त मजाज़ की सूरत
निगाह-ए-शौक़ ने पैहम ये इंतिज़ार किया

गिरी थी बर्क़-ए-तजल्ली जो क़ल्ब पर मेरे
उसी ने राज़-ए-हक़ीक़त को आश्कार किया

सहर की आस में गुज़री 'सबा' ये उम्र तमाम
हरीम-ए-ज़ीस्त का ज़ुल्मत ने यूँ हिसार किया
Read Full
Saba Alam Shah
जब से जाना है कि दुनिया में वफ़ा कोई नहीं
फिर किसी से भी रहा हम को गिला कोई नहीं

हर तरफ़ झूट है धोका है बे-ईमानी है
और इख़्लास-ओ-मोहब्बत का सिला कोई नहीं

हर ज़बाँ पर गिले शिकवे तो बहुत हैं लेकिन
हर्फ़-ए-तहसीन नहीं लफ़्ज़-ए-दुआ कोई नहीं

अजनबी हो गए वो लोग जो अपने थे कभी
हम से अज़-राह-ए-मुरव्वत भी मिला कोई नहीं

मेरी ख़ुशियों में मिरे साथ ज़माना था मगर
मुश्किलें आईं तो फिर साथ चला कोई नहीं

हक़-परस्ती के बहुत दा'वे किए सब ने मगर
रास्ता छोड़ के बातिल का गया कोई नहीं

सुनते हैं पहले ज़माने में बुरे लोग थे कम
अब तो लगता है कि दुनिया में भला कोई नहीं

ज़िंदगी बीत गई सारी मगर अपने लिए
हम को लम्हा कभी फ़ुर्सत का मिला कोई नहीं

इश्क़ के दश्त से गुज़रे तो ये मालूम हुआ
राह पुर-ख़ार नहीं है तो मज़ा कोई नहीं

वो जो कहते थे मिरे बिन नहीं जी पाएँगे
सारे ज़िंदा हैं अभी तक तो मरा कोई नहीं

मुज़्तरिब दिल है अगर तेरा तो सोचा है कभी
कैसे पाएगा सुकूँ इस में ख़ुदा कोई नहीं

जब मोहब्बत नहीं दुनिया से तो शिकवा कैसा
तेरे दिल में तो लगन उस की 'सबा' कोई नहीं
Read Full
Saba Alam Shah