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SabeenSaif shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in SabeenSaif's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
उम्र भर बोझ उठाया तो नहीं जा सकता
हर तअ'ल्लुक़ को निभाया तो नहीं जा सकता

आप इस बार भी दीवार में चुनवा दें मुझे
अब के भी सर ये झुकाया तो नहीं जा सकता

रोज़ मरने का हुनर जिस ने सिखाया है मुझे
उस का एहसान भुलाया तो नहीं जा सकता

चश्म-ए-बीना है मगर अक़्ल से ना-बीना हैं
आइना उन को दिखाया तो नहीं जा सकता

तुम ने इक उम्र मिरे दिल पे हुकूमत की है
तुम को पल भर में भुलाया तो नहीं जा सकता

जिन को अल्फ़ाज़ से डसने का हुनर आता है
हाथ अब उन से मिलाया तो नहीं जा सकता

जिस क़दर संग-ज़नी चाहिए कर लें मुझ पर
संग-ज़ादी को रुलाया तो नहीं जा सकता

हों मकीं जिन में कई साल से ज़िंदा लाशें
उन मकानों को सजाया तो नहीं जा सकता

जिस की ख़ामोशी में आसेब सुकूँ करते हों
ऐसा वीराना बसाया तो नहीं जा सकता

तू बुत-ए-इश्क़ नहीं तू तो ख़ुदा है मेरा
अब तुझे हाथ लगाया तो नहीं जा सकता
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बात क्या है ये बताएँ तो सही
गुफ़्तुगू आगे बढ़ाएँ तो सही

जान जाएँगे खरा खोटा है क्या
आप मुझ को आज़माएँ तो सही

उँगलियाँ उट्ठेंगी चारों आप पर
आप इक उँगली उठाएँ तो सही

बंदा-पर्वर ना-उमीदी कुफ़्र है
इक दिया फिर से जलाएँ तो सही

चाँद तारे मुंतज़िर हैं आप के
आसमाँ तक आप जाएँ तो सही

वस्ल कर देगा ख़िज़ाँ को फ़स्ल-ए-गुल
फूल बालों में लगाएँ तो सही

देखिए सुनिए अरे जाने भी दें
आप मेरे साथ आएँ तो सही

ख़ुद को रख कर भूल बैठी हूँ कहीं
मैं कहाँ हूँ कुछ बताएँ तो सही

आप तो बस घर बना कर रह गए
आप इस घर को बसाएँ तो सही

चुटकियों में भूल जाऊँगी उन्हें
अब मुझे वो याद आएँ तो सही

नींद आँखों से ख़फ़ा हो जाएगी
ख़्वाब पलकों पर सजाएँ तो सही

जान ले लूँगी क़सम अल्लाह की
भूल कर मुझ को भुलाएँ तो सही

आज़माने के लिए क़िस्मत 'सबीन'
दिल को दाव पर लगाएँ तो सही
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तुम्हारे ख़्वाब की ता'बीर हो जाऊँ इजाज़त है
मोहब्बत की मैं इक तस्वीर हो जाऊँ इजाज़त है

कहीं जाने न दूँ तुम को अगर तुम मेरे हो जाओ
तुम्हारे पाँव की ज़ंजीर हो जाऊँ इजाज़त है

किसी के हो गए हो तुम मुझे शिकवा नहीं कोई
किसी की मैं भी अब जागीर हो जाऊँ इजाज़त है

वो इक ता'वीज़ जो तुम ने गले में डाल रक्खा है
मैं इस ता'वीज़ की तहरीर हो जाऊँ इजाज़त है

ज़माने के मैं हर इक वार से तुझ को बचा लूँगी
मैं तेरे हाथ में शमशीर हो जाऊँ इजाज़त है

तुझे ये मो'जिज़ा भी मैं दिखा सकती हूँ दुनिया में
जो तू चाहे तिरी तक़दीर हो जाऊँ इजाज़त है

ख़ुदा ने ये करिश्मा चाहतों को सौंप रक्खा है
मैं इक पल में तिरी तौक़ीर हो जाऊँ इजाज़त है
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