Sabiha Khan

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@sabiha-khan

Sabiha Khan shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Sabiha Khan's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
ख़्वाब आँखों में सजाना भी ज़रूरी ठहरा
ज़िंदा रहने का बहाना भी ज़रूरी ठहरा

उस को एहसास-ए-पज़ीराई दिलाने के लिए
दर-ओ-दीवार सजाना भी ज़रूरी ठहरा

जो सितम उस ने किए उस को जताने के लिए
आइना उस को दिखाना भी ज़रूरी ठहरा

तेरी यादें जो परेशान किए रखती हैं
इस लिए तुझ को भुलाना भी ज़रूरी ठहरा

महव हो जाए मिरे ज़ेहन से भी उस की शबीह
उस की तस्वीर हटाना भी ज़रूरी ठहरा

ये है दस्तूर-ए-मोहब्बत कि हमेशा जिस में
वस्ल के साथ बिछड़ना भी ज़रूरी ठहरा

अपने चेहरे पे सजा ली है ये बे-कैफ़ हँसी
दर्द को दिल में छुपाना भी ज़रूरी ठहरा

रस्म-ए-उल्फ़त को निभाना है 'सबीहा' यूँ भी
रूठ जाए तो मनाना भी ज़रूरी ठहरा
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Sabiha Khan
काम है उन का जफ़ा वो बा-वफ़ा कहने को हैं
देते हैं जो दर्द-ए-दिल अहल-ए-शिफ़ा कहने को हैं

हम तो समझे थे वो साहिल पर उतारेंगे हमें
डाल दी नाव भँवर में ना-ख़ुदा कहने को हैं

फ़ासलों से कम न होंगे रूह के रिश्ते कभी
वो हमेशा दिल में हैं दिल से जुदा कहने को हैं

मुनफ़रिद उन की मोहब्बत मुनफ़रिद उन की वफ़ा
दूरियाँ रखते हैं फिर भी हम-नवा कहने को हैं

उन की इक अबरू की जुम्बिश भी सुख़न-वर है बहुत
है ज़बाँ भी उन के मुँह में मुद्दआ कहने को हैं

दूसरों को रास्ता दिखलाएँगे वो किस तरह
राह-ए-गुम-कर्दा हैं ख़ुद और रहनुमा कहने को हैं

हो गई है आगही उन से 'सबीहा' इस क़दर
जान लेती हूँ मैं इतना अब वो क्या कहने को हैं
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