Tafazzul Husain Khan Kaukab Dehlavi

Tafazzul Husain Khan Kaukab Dehlavi

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Tafazzul Husain Khan Kaukab Dehlavi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Tafazzul Husain Khan Kaukab Dehlavi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
मिट गए हाए मकीं और मकान-ए-देहली
न रहा नाम को भी नाम-ओ-निशान-ए-देहली

सहमे सहमे न रहें क्यूँकि मुक़ीमान-ए-फ़लक
कि फ़लक है हदफ़-ए-तीर-ए-फ़ुग़ान-ए-देहली

हम तो इंसान हैं जी क्यूँकि रहे बिन रोए
कि फ़रिश्ते भी हुए मर्सिया-ख़्वान-ए-देहली

जैसे फ़ारस में ख़ुलासा है ज़बान-ए-शीराज़
वैसी ही हिन्द में है पाक ज़बान-ए-देहली

दूर से देख के हो क्यूँकि यक़ीं दिल्ली का
आ के दिल्ली में हो जब यूँ ही गुमान-ए-देहली

फ़र्त-ए-काहीदगी-ए-दर्द से यारब अब तो
सब के सब हो गए हैं पीर जवान-ए-देहली

इस की वीरानी में इक बात है देखो अब तक
मिट गए पर भी तो बाक़ी रही आन-ए-देहली

जसद-ए-चर्ख़ न अंजुम से बने आबला-वार
गर न हो दरपय बर्बादी-ए-शान-ए-देहली

बस-कि हंगामा-तलब था ये वहाँ पहले से
फ़ित्ना-ए-हश्र भी होवेगा मियान-ए-देहली

जो मकीं रह गए बे-गोर-ओ-कफ़न मर मर कर
ढाँपने पर वो गिरे उन का मकान-ए-देहली

'ग़ालिब'-ओ-'साक़िब'-ओ-'सालिक' ही नहीं हैं ग़मगीं
'कौकब'-ए-ख़स्ता भी करता है फ़ुग़ान-ए-देहली
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