Tahira Jabeen

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Tahira Jabeen shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Tahira Jabeen's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
नग़्मा-ए-ज़ीस्त गुनगुनाए कौन
आगही का अज़ाब उठाए कौन

दोनों राज़ी तो हैं सुल्ह के लिए
पर अना है कि पहले आए कौन

लाख दुश्मन ने मारना चाहा
जिस को रक्खे ख़ुदा मिटाए कौन

जी में आता है उस से बात करें
बात अपनी मगर बनाए कौन

उस ने वा'दे तो बे-शुमार किए
अपने वा'दे मगर निभाए कौन

दिल की बस्ती में कोई क्या आए
ये जो उजड़े तो फिर बसाए कौन

आँख में किर्चियाँ हैं पहले ही
ख़्वाब अब के नए सजाए कौन

जो किसी की दुआ में शामिल हो
हाथ उस के लिए उठाए कौन

जब तअ'ल्लुक़ ही तर्क कर बैठे
कौन रूठा करे मनाए कौन

जो हुए हैं जुदा इरादे से
ऐसे बिछड़ों को फिर मिलाए कौन

'ताहिरा' अन-कही ही रहने दो
दिल की बातें तुम्हारी पाए कौन
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Tahira Jabeen
मैं क्या मिसाल दूँ कोई तिरी मिसाल के बाद
नहीं जमाल कोई भी तिरे जमाल के बाद

अता हुई वो बुलंदी मिरे तख़य्युल को
ख़याल हेच हुए सब तिरे ख़याल के बाद

ये तेरे नाम का सदक़ा है साहिब-ए-मेराज
उरूज मुझ को मिला है जो हर ज़वाल के बाद

बताया हुलिया-मुबारक जो उम्म-ए-मा'बद ने
हसीं लगा न कोई ऐसे ख़द्द-ओ-ख़ाल के बाद

न लौटा आप के दर से कोई तही-दामन
न टूटा मान किसी का बयान-ए-हाल के बाद

नहीं है रंज कोई जो ख़ुशी में ढल न गया
दरूद मैं ने पढ़ा जब किसी मलाल के बाद

कनीज़-ए-आल-ए-मोहम्मद अगर मैं कहलाऊँ
विसाल उन से ही होगा मिरा विसाल के बाद

है 'ताहिरा' ये तमन्ना दिल-ओ-निगाह की अब
मदीने जाऊँ हमेशा हर एक साल के बाद
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