Taj Saeed

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@taj-saeed

Taj Saeed shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Taj Saeed's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
बंद दरीचों के कमरे से पूर्वा यूँ टकराई है
जैसे दिल के आँगन में दुखिया ने तान लगाई है

पेड़ों की ख़ामोशी से भी दिल मेरा घबराता है
सहरा की वीरानी देख के आँख मिरी भर आई है

दिल के सहरा में यादों के झक्कड़ ऐसे चलते हैं
जैसे नैन झरोका भी उस प्रीतम की अँगनाई है

अपने दिल में यादों ने ज़ख़्मों के फूल खिलाए हैं
जिस्म की इस दीवार के अंदर किस ने नक़ब लगाई है

पत्ता पत्ता शाख़ से टूटे दरवाज़ों पे वहशत सी
यारो प्रेम कथा में किस ने दर्द की तान मिलाई है

दरिया दरिया नाव बहे तो गोरी गीत प्रोती जाए
उन गीतों की तान अमर है जिन का रंग जुदाई है

पंछी की चहकार हमेशा जंगल को गरमाती है
ख़ल्क़-ए-ख़ुदा ने अपने दिल में बस यही याद बसाई है

क़दम क़दम दुख दर्द के साए शहर हुए वीराने भी
किस ने देस के फूलों पर अब हिज्र की राख उड़ाई है
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Taj Saeed
जी में आता है कि चल कर जंगलों में जा रहें
नित-नए मौसम के भी हमराह वाबस्ता रहें

आती जाती रुत को देखें अपने चश्म ओ गोश से
मौसमों के वार सह कर भी यूँही ज़िंदा रहें

फूल फल पौदे परिंदे हमदम ओ दम-साज़ हों
इन में बस्ते ही भले लेकिन न यूँ तन्हा रहें

शहर के दीवार-ओ-दर हर इक से हैं ना-आश्ना
शहर में रहते हुए क्यूँकर न बेगाना रहें

बे-मुरव्वत है ज़माना उस का शिकवा क्यूँ करें
अपने अंदर के मकीं का बन के हम-साया रहें

जिस्म के अंदर ग़मों की आँधियाँ चलती रहें
ज़ाहिरी सूरत में सब चेहरे तर-ओ-ताज़ा रहें

देखते ही जिस को सब महरूमियाँ काफ़ूर हों
दिल में तूफ़ाँ से उठें चेहरे मगर सादा रहें

मसअला ये भी तो है इस अहद का ऐ जान-ए-जाँ
क्यूँ निछावर जाँ करें किस के लिए ज़िंदा रहें

उड़ते लम्हों को अगर क़ाबू में करना है 'सईद'
भागने को हर घड़ी हर वक़्त आमादा रहें
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