Utkarsh Musafir

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Utkarsh Musafir shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Utkarsh Musafir's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Nazm
आज सुब्ह जब आसमाँ पर काले
घनेरे अब्रों का बसेरा था
मैं अपने बाम पर रखी मेज़ पर
कल के अख़बार के वरक़ पलट रहा था
इक ख़बर दिखी उस में जो उतर नहीं रही थी
ज़ेहन से कई मर्तबा ध्यान भटकाने की
जिद्द-ओ-जहद भी की पर कामयाब न हुआ
अख़बार भी मुरझा गया था इस ख़बर से
शायद अज़ाब था उसे भी

कैसे कोई इंसान दूसरे इंसान को मार देता है
कुछ यूँ महसूस हो रहा था जैसे उस
दूसरे इंसान के सुर्ख़ ख़ून के धब्बे मेरे अख़बार
के वरक़ पर भी पड़े थे
इक अजीब सी ताज़े ख़ून की बू आने लगी थी

कौन था गुनहगार इस क़त्ल का
वो पहला इंसान जिस की थी फ़ितरत ऐसी
या ख़ुद ख़ुदा
जिस ने बनाया था वो क़ातिल इंसान
फ़ैसला अभी भी बाक़ी है
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Utkarsh Musafir
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