Vahshi Kanpuri

Vahshi Kanpuri

@vahshi-kanpuri

Vahshi Kanpuri shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Vahshi Kanpuri's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
कोई ज़र्रा जो दिल की ख़ाक का बर्बाद होता है
जहान-ए-इश्क़ में शोर-ए-मुबारकबाद होता है

न पूछो क्या सुरूर-ए-लज़्ज़त-ए-बेदाद होता है
जब आग़ोश-ए-मोहब्बत में दिल-ए-नाशाद होता है

ख़ुदा जाने ये क्या दाम-ए-बला है गुलशन-ए-हस्ती
जिधर परवाज़ करता हूँ उधर सय्याद होता है

ये दर्स-ए-इश्क़ भी कैसा अनोखा दरस है या-रब
कि जितना भूलता जाता हूँ उतना याद होता है

जो तेरी याद में गिरता है बन कर गौहर-ए-मक़्सद
वही अश्क-ए-मोहब्बत हासिल-ए-रूदाद होता है

कोई शोरीदा-सर पाबंद-ए-ज़िंदाँ हो नहीं सकता
बगूला अपनी ज़ंजीरों में भी आज़ाद होता है

जो 'वहशी' की तरह होता है पाबंद-ए-ग़म-ए-जानाँ
वही तो बस ग़म-ए-दौराँ से भी आज़ाद होता है
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Vahshi Kanpuri
बू-ए-गुल बाग़ में बरहम नज़र आती है मुझे
फ़स्ल-ए-गुल सूरत-ए-शबनम नज़र आती है मुझे

शम-ए-उम्मीद की लौ बाद-ए-हवादिस में भी
अपने मरकज़ पे ही हर दम नज़र आती है मुझे

गर्म-रफ़्तार हैं ख़ुर्शीद-ओ-मह-ओ-अर्ज़-ओ-समा
ज़िंदगी जुम्बिश-ए-पैहम नज़र आती है मुझे

ग़म-ओ-अंदोह ओ मसाइब के सियह अब्र में भी
इक तजल्ली है जो पैहम नज़र आती है मुझे

जाने क्या आज गुलिस्ताँ में पयाम आया है
आँख हर फूल की पुर-नम नज़र आती है मुझे

शाम-ए-ग़म है ये कि है मतला-ए-शाम-ए-उमीद
रौशनी तारों की मद्धम नज़र आती है मुझे

नाला-ए-नीम-शबी आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-सहरी
हर सदा इश्क़ की मुबहम नज़र आती है मुझे

हर दर-ए-मय-कदा-ए-इश्क़ के आगे 'वहशी'
ज़ोहद-ओ-तक़्वा की जबीं ख़म नज़र आती है मुझे
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