Vandana Bhardwaj Tiwari Vani

Vandana Bhardwaj Tiwari Vani

@vandana-bhardwaj-tiwari-vani

Vandana Bhardwaj Tiwari Vani shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Vandana Bhardwaj Tiwari Vani's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
जागे से कितने घर देखे रात की ख़ामुशी में
दीवार पे साए ही तो थे रात की ख़ामुशी में

गुल-बूटे और बाग़ जब सो जाते हैं ख़्वाबों को ओढ़े
तब रात रानी ही ख़ुशबू दे रात की ख़ामुशी में

दिन भर ख़ुद अपनी लगाई आतिश में दिल जल रहा था
अब शम्अ सा बुझ रहा है ये रात की ख़ामुशी में

तन्हाई में चुभते हैं जब यादों के नश्तर से अक्सर
गोशे में हम रोते हैं खुल के रात की ख़ामुशी में

गर नींद है तो फिर इन जलती आँखों में तू उतर आ
गर मौत है तो ले चल याँ से रात की ख़ामुशी में

काटी नहीं जाती अब मुझ से हिज्र की लम्बी रातें
कोई मिरे दिल को बहला दे रात की ख़ामुशी में

हो झील में चाँद उतरा या ख़्वाब में खोई 'वानी'
सब अपने ही अश्क से भीगे रात की ख़ामुशी में
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Vandana Bhardwaj Tiwari Vani