तू किस क़दर हसीन है तुझको पता भी है
ये हुस्न तेरा देख के हैराँ ख़ुदा भी है
मम्मी हैं डैड और बता कितने लोग हैं
तू ही बड़ी है घर में या भाई बड़ा भी है
मत हो उदास दोस्त तू इतना यक़ीन रख
इन मुश्किलों के बाद में इक रास्ता भी है
ऐसे मिला वो मुझसे कि जैसे हो अजनबी
वो जानता भी है मुझे पहचानता भी है
ये शाइरी का तुम यूँ न ताना दिया करो
रोटी बनाने की सुनो मुझमें कला भी है
माना कि रुपए लाख महीने के पा रहा
इक बार पर वो बाप को कुर्ता दिया भी है
तेरी हज़ार ख़ामियाँ मुझको क़ुबूल थीं
पर ये पता नहीं था कि तू बेवफ़ा भी है
यथार्थ विष्णु
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