गुफ़्तगू करते रहो तक़रीर को पीछे रखो
ख़्वाब देखो ख़्वाब की ताबीर को पीछे रखो
तितलियों को जुगनुओं को बुलबुलों को बाग को
खुशबुएँ बाँटा करो शमशीर को पीछे रखो
क़ैद कर लोगे मगर यूँ क़ैद हम होंगे नहीं
क़ैद करने आओ तो ज़ंजीर को पीछे रखो
चूक जाए या निशाने पर लगे जो हो मगर
तीर को आगे करो तक़दीर को पीछे रखो
इश्क़ है आसाँ बहुत ये आग का दरिया नहीं
इश्क़ करते जाओ हर तदबीर को पीछे रखो
ज़ात मज़हब सरहदें हैं नफ़रतें हैं ज़ुल्म हैं
है यही जागीर तो जागीर को पीछे रखो
जंग से बेज़ार हूँ मैं यार दुनिया प्यार दो
मीर को लाओ व्लादिमीर को पीछे रखो
Read Full