Vishvanath Dard

Vishvanath Dard

@vishvanath-dard

Vishvanath Dard shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Vishvanath Dard's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Ghazal
जाने कितना जीवन पीछे छूट गया अनजाने में
अब तो कुछ क़तरे हैं बाक़ी साँसों के पैमाने में

अपनी प्यास लिए होंटों पर लौट आए मयख़ाने में
कितने तिश्ना-लब बैठे थे पहले ही मयख़ाने में

क्या क्या रूप लिए रिश्तों ने कैसे कैसे रंग भरे
अब तो फ़र्क़ नहीं कुछ लगता अपने और बेगाने में

जज़्बों की मिस्मार इमारत यादों के बे-जान खंडर
जाने क्यूँ बैठे हैं तन्हा हम ऐसे वीराने में

इस बस्ती में आ कर हम ने कुछ ऐसा दस्तूर सुना
अक़्ल की बातें करने वाले होंगे पागल-ख़ाने में

इतना जान लिया तो यारो कैसी बंदिश उनवाँ की
अपना अपना रंग भरेगा हर कोई अफ़्साने में

तकमील-ओ-तख़्लीक़ का लम्हा भारी है इन सदियों पर
जो आबाद नगर की क़िस्मत लिख डालीं वीराने में
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Vishvanath Dard
तुम ने हमारा साथ दिया तो ख़ुद को हम पा जाएँगे
वर्ना अपनी ज़ात से हमदम फिर धोका खा जाएँगे

कड़ी धूप में हम ले आए अपने कोमल गीतों को
उन के फूल से चेहरे देखें धूप में कुम्हला जाएँगे

आँखें मूँद के चलने वाले धुन के पक्के निकले तो
चलते चलते इक दिन आख़िर मंज़िल को पा जाएँगे

कौन हवाओं के पर बाँधे कौन हमारा रस्ता रोके
आग का दरिया होगा तो भी तैर के हम आ जाएँगे

दानाई के शहर के बासी पागल-पन के जंगल में
जंगल वालो आँख बचा कर आग सी भड़का जाएँगे

मन की आँख खुले तो समझो नूर का ज़ीना चढ़ना है
वर्ना तन की आँख के शीशे धूप में धुँदला जाएँगे

दर्द-हवा का पीछा करना सब के बस की बात नहीं
अपना पीछा करते करते दोस्त भी उकता जाएँगे
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