कब तलक यूँ रोया और पीटा करे कोई
लौटे नइँ गर जाने वाला क्या करे कोई
काँटा पथ में हो तो हाथों से हटाएँ भी
काँटा क़िस्मत ही में हो तो क्या करे कोई
सादगी ने किस तरह दीवाने को मारा
सादगी के नाम से तौबा करे कोई
आख़िरी संदेश में दीवाने ने बोला
है बुरा होता ही जो अच्छा करे कोई
आपको देखे बिना तो चैन ही नइँ हो
किस तरह जी आपसे पर्दा करे कोई
प्यार में कुछ छूट हो तो बात भी होती
प्यार ही जब ऐसा हो तो क्या करे कोई
दिलबरी का काम भी क्या ख़ूब है मेरा
पास मेरे जान के बैठा करे कोई
छोड़कर दुनिया चला कैसे नहीं जाता
कब तलक ही दर्द से तड़पा करे कोई
जिस तरह से उसने बस झगड़ा किया मुझसे
उस तरह से अब कहाँ झगड़ा करे कोई
आँखों के सोझा भी तो मंज़र हज़ारों हैं
कब तलक बस उनको ही देखा करे कोई
दाँव पे मेरी जवानी किस कदर आई
काश मेरे हक़ में भी सज़दा करे कोई
जाम गर देना नहीं तो मत दे रे साक़ी
प्याला लेके पास में बैठा करे कोई
जिस तरह से उसने बस धोखा दिया मुझको
उस तरह से अब नहीं धोखा करे कोई
जैसे मम्मी ने मेरी माया किया मेरा
वैसे अब मेरा कहाँ माया करे कोई
खोल कर दिल सामने रखता है ज़ालिम के
क्या भला 'राकेश' से धोखा करे कोई
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