कितना वीरान दिल का नगर हो गया - Rakesh Mahadiuree

कितना वीरान दिल का नगर हो गया
फूल जैसे कि काँटों का घर हो गया

हाथ दोनों उठा कर दुआएँ करो
दिल की दुनिया में आशिक़ अमर हो गया

जो भी हँसते मिले तुमको ये सोचना
उसके दिल पे हमारा असर हो गया

इश्क़ की इंतिहा मेरी मत नापिए
मैंने जिस दिल को पूजा अमर हो गया

देख लो इश्क़ की करवटें देख लो
फिर न कहना कि जुगनू क़मर हो गया

- Rakesh Mahadiuree
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