उस तरफ़ से शरारत हुई है - Rakesh Mahadiuree

उस तरफ़ से शरारत हुई है
इस तरफ़ से मुहब्बत हुई है

जब से उनसे निग़ाहें मिलाईं
ज़िंदगी खूबसूरत हुई है

दोस्तो को परखते परखते
दुश्मनों से मुहब्बत हुई है

साँवले रंग से मेरे साक़ी
क्या कहूँ कैसी उल्फ़त हुई है

अब जुदा होके जीना है मुश्किल
इस तरह से मुहब्बत हुई है

ऐ मिरे दिल के मालिक बता दे
आज किसपे इनायत हुई है

बे-वजह कोई हँसता नहीं है
आपको भी मुहब्बत हुई है

दिल धड़कने लगा फिर से मेरा
फिर उन्हें मेरी चाहत हुई है

ये मिरे दिल के टुकड़े हैं 'राकेश'
ये मुझी को मुहब्बत हुई है

- Rakesh Mahadiuree
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