ये दामन अश्क़ से गीला नहीं है
अभी दिल से लहू फूटा नहीं है
नया इक दर्द दस्तक दे रहा है
पुराना ज़ख़्म भी सूखा नहीं है
मिरी धड़कन तलक पर वो है क़ाबिज़
मगर उस में मिरा हिस्सा नहीं है
गिला ये है मुझे उस नाख़ुदा से
वो मुझ सा है मगर मेरा नहीं है
यहाँ पर सिर्फ़ काँटे ही मिलेंगे
मुहब्बत ताज फूलों का नहीं है
गुनाहों से अभी वाबस्तगी है
पुराने पेड़ को काटा नहीं है
अभी भी लड़ रहा है जंग साहिल
दिया तूफ़ाँ से ये हारा नहीं है
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