ज़रा सी नौकरी पाने की ख़ातिर मर रहा हूँ मैं
गणित का हूँ मैं लड़का और बीए कर रहा हूँ मैं
कभी लड़की नहीं छेड़ी नहीं फबती कसी उस पर
इन्हीं बातों से माँ की आँख में ऊपर रहा हूँ मैं
रखा है हाथ हाथों पर औ' उसकी हाँ भी है लेकिन
उसे सीने से चिपकाने में थोड़ा डर रहा हूँ मैं
रहा अव्वल पढ़ाई में मेरे हर यार से 'शून्या'
मगर चर्चों में उल्फ़त के ज़रा कमतर रहा हूँ मैं
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